परिवारों में बुजुर्गों की अहमियत को समझें युवा : कुलपति

धर्मशाला, 17 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के पंजाबी एवं डोगरी विभाग की ओर से ‘संभाल लो मापे, रब मिल जाएगा आपे’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन धौलाधार परिसर में किया गया। इसमें बतौर मुख्य वक्ता प्रसिद्ध लेखक अविनाश राय खन्ना ने शिरकत की। वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि भारत अपनी संस्कृति के कारण देश-विदेश में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। संयुक्त परिवारों की परपंरा का जिस तरह से भारत में प्रचलन है उसके विदेशों में उदाहरण दिए जाते हैं। यह दुर्भाग्य है कि यह प्रचलन अब पश्चिमी सभ्यता की देखादेखी में कम होता जा रहा है। यह ठीक नहीं है। हमारी पहचान “मैं” से नहीं “हम” से होती है। उन्होंने हमारे जीवन में संयुक्त परिवार प्रणाली की अहमियत के बारे प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने माता पिता और बुजुर्गों के साथ समय व्यतीत करने और उनकी सेवा करने का आग्रह किया। उन्होंने भारत और विदेशी संस्कृति की तुलना करते हुए भारतीय संस्कृति में बुजुर्गों की अहमियत बताई।

बुजुर्गों की देखभाल कर बुढ़ापे का सहारा बने युवा : अविनाश राय खन्ना

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अभिनाश राय खन्ना ने व्याख्यान में आज के युवाओं को माता पिता की सेवा करने, उनके साथ समय व्यतीत करने और उनके बुढ़ापे का सहारा बनने का आह्वान किया। उन्होंने बजुर्गों की देखभाल करने, उनकी परिवार में अहमियत और उनके जीवनदर्शन के विशेष पहलुओं को पेश करने के लिए उनके द्वारा संचालित किए जा रहे विशेष कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। इस कार्यक्रम में उन्होंने कुलपति से अनुरोध किया कि वह अपने विश्वविद्यालय में भी ऐसा कोई कार्यक्रम का आयोजन करें जिससे बच्चों को अपने जीवन में अपने माता-पिता और बजुर्गों के होने की सार्थकता का ज्ञान हो।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

   

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