अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला : 27 लाख लोगों ने की शिरकत, 25 करोड़ की किताबें बिकीं
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- Feb 10, 2025
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कोलकाता, 11 फरवरी (हि.स.) । 48वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले का रविवार को भव्य समापन हुआ। मेला आयोजन गिल्ड की ओर से सोमवार को बताया गया है कि इस साल मेले में 12 दिनों के दौरान रिकॉर्ड 27 लाख लोग पहुंचे और किताबों की बिक्री 25 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के मानद महासचिव सुधांशु शेखर दे ने बताया कि पिछले साल मेला 14 दिनों तक चला था, जिसमें 28 लाख लोगों ने शिरकत की थी और 27 करोड़ रुपये की किताबें बिकी थीं। गिल्ड के अध्यक्ष त्रिदीब कुमार चटर्जी ने कहा, पिछले साल की तुलना में इस बार मेला दो दिन कम चला, फिर भी बिक्री और भीड़ के आंकड़े यह साबित करते हैं कि डिजिटल युग में भी पुस्तकों की लोकप्रियता बनी हुई है।
रविवार को साल्ट लेक स्थित 'बोईमेला प्रांगण' में आयोजित समापन समारोह में राज्य के मंत्री फिरहाद हाकिम, ब्रात्य बसु और अरूप विश्वास शामिल हुए थे। बिधाननगर की मेयर कृष्णा चक्रवर्ती भी इस अवसर पर मौजूद रहीं।
ब्रात्य बसु ने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल से दुर्गा पूजा कार्निवल की लोकप्रियता बढ़ी है, उसी तरह कोलकाता पुस्तक मेला भी हर साल और भव्य होता जा रहा है। फिरहाद हाकिम ने कहा कि मुख्यमंत्री की कोशिशों से ही सॉल्ट लेक में मेले के लिए स्थायी स्थल सुनिश्चित किया गया, जिससे इसे अब ‘यायावर मेला’ नहीं कहा जा सकता।
इस साल का थीम देश जर्मनी था, जिसकी प्रस्तुति मेले में आकर्षण का केंद्र रही। जर्मनी का मंडप किताबों के ढेर जैसा डिजाइन किया गया था, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। यह पहली बार था जब जर्मनी को पुस्तक मेले का थीम देश चुना गया।
इसके अलावा, मेले के शुभंकर ‘हाशो और हाशो’ भी बच्चों और बड़ों को खूब पसंद आए। अंतिम दिन गिल्ड ने ‘सबसे खूबसूरत स्टॉल’ का सम्मान अर्जेंटीना को दिया। 'आजकाल पब्लिशर्स' को खुले मैदान में बड़े क्षेत्रीय प्रकाशकों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ स्टॉल का पुरस्कार मिला, जबकि 'हैचेट बुक पब्लिशिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' को हॉल के अंदर बड़े स्टॉल की श्रेणी में पहला स्थान दिया गया।
इस साल मेले में 1000 से अधिक प्रकाशकों ने भाग लिया। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, नेपाल, स्पेन, पेरू, ग्वाटेमाला और कोस्टा रिका जैसे देशों की किताबें भी उपलब्ध थीं। पहली बार मेला पूरी तरह खुले वातावरण में आयोजित किया गया, जिससे लोगों को स्वतंत्र रूप से घूमने का बेहतर अनुभव मिला।
इस साल अंग्रेजी भाषा के प्रकाशकों के लिए एक विशेष 'प्रीमियर एरिया' बनाया गया, जिससे उनकी किताबों को अधिक पाठकों तक पहुंचने का मौका मिला। त्रिदीब कुमार चटर्जी ने कहा कि अंग्रेजी प्रकाशकों को अब बंद इनक्लोजर की बजाय खुला स्थान मिला, जिससे पाठकों की भागीदारी बढ़ी और प्रकाशक भी इस बदलाव से खुश नजर आए।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर