पश्चिम बंगाल अपने संसाधनों से सिंचाई परियोजनाएं चला रहा है, केंद्र से नहीं मिल रही सहायता : मंत्री

कोलकाता, 19 मार्च (हि. स.)। पश्चिम बंगाल के सिंचाई मंत्री मानस भुइयां ने बुधवार को विधानसभा में दावा किया कि राज्य को बाढ़ और कटाव जैसी समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है, जिसके कारण उसे अपने संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भुइयां ने कहा कि पश्चिम बंगाल गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों का सबसे निचला क्षेत्र होने के कारण ऊपरी इलाकों से आने वाले बाढ़ के पानी से प्रभावित होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य को उसका बकाया पानी नहीं दे रही है, जिससे सूखे के मौसम में आजीविका प्रभावित हो रही है।

भुइयां ने कहा कि केंद्र सरकार बंगाल को सबसे कमजोर स्थान पर चोट पहुंचा रही है। हर साल मानसून के दौरान राज्य के कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं, लेकिन सूखे के मौसम में हमें अपनी जरूरत के हिसाब से पानी नहीं मिलता। इसके बावजूद, हम अपने सीमित संसाधनों से जल निकासी, तटबंध निर्माण और अन्य आवश्यक कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रमुख एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं, बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी कार्यों पर अनुमानित चार हजार 153.64 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

जब भाजपा विधायक विश्वनाथ करक और मनोज ओरांव ने केंद्रीय सहायता न मिलने के उनके दावे पर सवाल उठाए, तो मंत्री ने कहा कि हमें राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर केंद्र सरकार से जल्द से जल्द फंड जारी करने की मांग करनी चाहिए।

भुइयां ने कहा कि गंगा नदी के किनारों पर कटाव रोकने का काम काफी महंगा पड़ता है, क्योंकि प्रति किलोमीटर 15 से 30 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने मालदा और मुर्शिदाबाद में 51 संवेदनशील स्थानों पर 240.82 करोड़ रुपये की लागत से कटाव रोधी कार्य पूरे किए हैं।

उन्होंने बताया कि मालदा और मुर्शिदाबाद के धूलियान, शमशेरगंज, लालगोला और जालंगी जैसे संवेदनशील इलाकों में 8.93 किलोमीटर की लंबाई में कटाव रोकने का कार्य जारी है। भुइयां ने कहा कि मालदा के भूतनी और कतहा दियारा क्षेत्रों में गंगा का कटाव गंभीर रूप ले चुका है। यह समस्या अलग-थलग रहकर हल नहीं की जा सकती, इसलिए इसे बार-बार केंद्र सरकार के समक्ष उठाया गया है। केंद्र को इस दिशा में आवश्यक सहायता प्रदान करनी चाहिए।

मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि राज्य सरकार ने सुंदरबन में 33 स्थानों पर तटबंधों को मजबूत किया है, जिसमें दक्षिण 24 परगना के नामखाना, पाथरप्रतिमा और गोसाबा जैसे 17 स्थान तथा उत्तर 24 परगना के 16 स्थान शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने दो हजार 390 मीटर क्षेत्र में तटबंधों को सुरक्षित करने के लिए 'बांध' बनाए हैं, जिसमें से एक हजार 755 मीटर क्षेत्र केवल दक्षिण 24 परगना में शामिल है।

भुइयां ने बताया कि अलीपुरद्वार, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी जिलों का लगभग 52 प्रतिशत क्षेत्र नदी कटाव और बाढ़ की चपेट में रहता है, क्योंकि यहां की अधिकांश नदियां भूटान से बहकर आती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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