बांसवाड़ा के बड़ोदिया कस्बे में अनोखी परंपरा, श्राप से बचने के लिए दो लड़कों का कराया ब्याह
- Admin Admin
- Mar 13, 2025

बांसवाड़ा, 13 मार्च (हि.स.)।
जनजाति जिले बांसवाड़ा के बड़ोदिया कस्बे में होली से पहली रात को गत 500 साल से एक अनोखी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है, जिसमें श्राप से बचने के लिए दो लड़कों की आपस शादी कराई जाती है और पूरा गांव बाराती बन कर इसके साक्षी बनते है। यह आयोजन कस्बे के लक्ष्मीनारायण मंदिर पर हर साल होली से पहली रात को होता आ रहा है।
मंदिर के प्रांगण में ढोल की थाप पर युवा नाच रहे हैं और पंडित विवाह की तैयारियों में लगे हैं। इतने में गांव के युवा और बुजुर्ग , जिन्हें होली पर 'गेरिये' कहा जाता है, दो छोटे बच्चों को कंधों पर उठाकर लाते हैं । यह बच्चे अभी इतने छोटे हैं कि नींद से जागने के बाद भी आंखें मसल रहे थे।
इस परंपरा के तहत ग्रामीणों ने एक बच्चे को, जिसे 'जेठालाल' नाम दिया गया, दूल्हा बनाया। उसे पेंट-शर्ट और पगड़ी पहनाई गई, हाथ में तलवार थमाई गई। उसे रिश्तों का बंधन क्या होता है, इसका कोई अंदाजा नहीं था। वहीं, दूसरे बच्चे को, जिसे 'पोपटलाल' नाम दिया गया, दुल्हन बनाया गया। उसे साड़ी पहनाई गई।
इस बीच, युवाओं की टोली ने हो-हल्ला और हुड़दंग के बीच इन दोनों नन्हे बच्चों को पाणिग्रहण संस्कार में शामिल किया। अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे करवाए गए, हस्त मिलाप की रस्में निभाई गईं।
पंडित ने मंत्र पढ़े, लेकिन बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वे जैसा बोला गया, वैसा ही करते रहे। युवाओं के शोर-शराबे से बच्चे परेशान हो गए और सात फेरे लेने में अटक गए। तब उनके हाथों में पैसे और खाने की वस्तुएं दी गईं, जिससे खुश होकर उन्होंने फेरे पूरे किए। बच्चों को यह भी नहीं पता था कि सात फेरे क्या होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे घुमाया गया, वे घूमते गए।
इस अनोखे विवाह का आनंद युवाओं की टोली ने जमकर उठाया। गांव के मुखिया नाथजी भाई पटेल और विवेकानंद महाराज ने बताया कि यह शादी एक रस्म है, जो गांव को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए होली के पहले दिन रात को दो बच्चों की शादी कराने की परंपरा के रूप में आज भी निभाई जा रही है।
फागुनी मस्ती में मंगल गीत और रस्में
ग्रामीणों ने फागुनी मस्ती में मंगल गीत गाए। 'वर' ने 'वधु' की मांग भरी, मंगलसूत्र पहनाया और वरमाला की रस्म अदा की। हस्त मिलाप छोड़ने और मामेरे की रस्में भी निभाई गईं। इस दौरान किसी ने नकद राशि दी, तो किसी ने चॉकलेट, बिस्किट और मीठा पान देकर रस्म पूरी की।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुभाष