जलीय कृषि करने वाले किसानों को बीमा के लिए एकमुश्त प्रोत्साहन
- Admin Admin
- Mar 12, 2025

नई दिल्ली, 12 मार्च (हि.स.)। मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय वित्त वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक चार वर्षों की अवधि के लिए वर्तमान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) नामक एक नई केंद्रीय क्षेत्र उप-योजना को कार्यान्वित कर रहा है। इसका अनुमानित परिव्यय 6000 करोड़ रुपये है। इसमें 3000 करोड़ रुपये सार्वजनिक वित्त और 3000 करोड़ रुपये निजी निवेश से है। यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री जॉर्ज कुरियन ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
उप-योजना के चार घटकों में मात्स्यिकी क्षेत्र का औपचारिकीकरण और कार्यशील पूंजी वित्तपोषण के लिए भारत सरकार के कार्यक्रमों तक मात्स्यिकी सूक्ष्म उद्यमों की पहुंच को सुविधाजनक बनाना और जलीय कृषि बीमा को अपनाने में सुविधा प्रदान करना, फिशरीज़ सेक्टर वैल्यू चैन एफिशिएंसी में सुधार के लिए सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान करना है। इसके अलावा मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पाद सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन प्रणालियों को अपनाना और उनका विस्तार करना और घटक परियोजना प्रबंधन, निगरानी और रिपोर्टिंग करना है।
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 11 सितंबर 2024 को पीएम-एमकेएसएसवाई के अंतर्गत नेशनल फिशरीज़ डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) लॉन्च किया है। एनएफडीपी का उद्देश्य मात्स्यिकी क्षेत्र में सभी हितधारकों के लिए कार्य-आधारित डिजिटल पहचान और डेटाबेस के निर्माण के माध्यम से भारतीय मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र को औपचारिक बनाना है। यह संस्थागत ऋण तक पहुंच, मात्स्यिकी सहकारी समितियों को मजबूत करने, जलीय कृषि बीमा को प्रोत्साहित करने, निष्पादन-आधारित प्रोत्साहन, फिशरीज़ ट्रेसबिलिटी सिस्टम और प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए 'वन-स्टॉप' सोल्यूशन के रूप में भी कार्य करता है।
पीएम-एमकेएसएसवाई के घटक जलीय कृषि बीमा को अपनाने में सुविधा प्रदान करने के अंतर्गत किसानों द्वारा जलीय कृषि बीमा खरीदने के लिए एकमुश्त प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। पीएम-एमकेएसएसवाई के अंतर्गत दो प्रकार के बीमा उत्पाद उपलब्ध हैं। इनमें पहला मूल बीमा जो गैर-रोकथाम योग्य खतरों के कारण उपज के नुकसान को कवर करता है, जैसे कि गर्मी के कारण होने वाली मौतें, प्रदूषण, भूकंप, चक्रवात, बाढ़, अन्य प्राकृतिक आपदाएं, दंगे, जहर सहित थर्ड पार्टी के दुर्भावनापूर्ण कार्य, फार्म के स्ट्रक्चरल डैमेज के कारण क्रॉप का नुकसान आदि। दूसरा व्यापक बीमा जो मूल बीमा के अंतर्गत खतरों और बीमारियों आदि के कारण होने वाले अतिरिक्त खतरों को कवर करता है। जलकृषि बीमा के लिए एकमुश्त प्रोत्साहन भुगतान किए गए प्रीमियम के 40% की दर से 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर या 4 हेक्टेयर जल विस्तार क्षेत्र (डब्ल्यूएसए) के लिए प्रति किसान 1 लाख रुपये तक की सीमा के साथ प्रदान किया जाता है। गहन प्रणालियों सहित जलकृषि प्रणालियों जैसे कि फार्म, केज कल्चर, आरएएस, बायो-फ्लोक और रेसवे आदि के लिए प्रति किसान को 1800 घन मीटर के लिए 1 लाख रुपये तक की सीमा के साथ भुगतान किए गए प्रीमियम पर 40% की दर से जलकृषि बीमा प्रदान किया जाता है इसके अलावा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अतिरिक्त 10% प्रोत्साहन मिलता है।
-----------
हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव