शुभ दिन घड़ी आज प्रगट भये नंद कन्हाई’

उदयपुर, 1 मार्च (हि.स.)। शिल्पग्राम में चल रहे तीन दिवसीय ‘ऋतु वसंत’ उत्सव के दूसरे दिन शनिवार को गोवा के प्रतिष्ठित हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक डॉ. प्रवीण गांवकर और जयपुर घराने के प्रसिद्ध कथक कलाकार अमित गंगानी ने अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह उत्सव पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर द्वारा 28 फरवरी से 2 मार्च तक शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच में आयोजित किया जा रहा है।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि शनिवार को डॉ. प्रवीण गांवकर ने अपनी सुमधुर आवाज और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की गहरी समझ के साथ मंच पर प्रस्तुति दी। उनकी गायकी ने बसंत ऋतु के भावों को संगीतमय रूप से जीवंत कर दिया, जिसे सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो उठे। गोवा से आए इस ख्यातिप्राप्त गायक ने अपनी कला से संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया।

वहीं, जयपुर घराने के प्रख्यात कथक कलाकार अमित गंगानी ने अपनी नृत्य प्रस्तुति से दर्शकों को अभिभूत किया। उनकी प्रस्तुति में जयपुर घराने की विशेषता - तीव्र तालबद्ध पैरों की थाप, सुंदर भाव-भंगिमाएँ और ऊर्जा से भरपूर प्रदर्शन - स्पष्ट रूप से झलकी। बसंत ऋतु के रंगों को उनके नृत्य ने मंच पर जीवंत कर दिया, जिसने दर्शकों को तालियों से सम्मानित करने के लिए प्रेरित किया। सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम में आरएसएमएम के एमडी भगवती प्रसाद कलाल, डॉ. प्रेम भण्डारी, देवेन्द्र हिरण सहित शहर के कई गणमान्य जन उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित ने किया।

गोवा के ख्याति प्राप्त संगीतज्ञ डॉ. प्रवीण गांवकर ने राग रागेश्वरी में विलंबित जुमला ताल पर आधारित भक्ति रचना ‘शुभ दिन घड़ी आज प्रगट भये नंद घर कन्हाई’ की मनमोहक प्रस्तुति दी, जो संगीत प्रेमियों के लिए एक सौगात बन गई है।

राग रागेश्वरी, जो अपनी सौम्यता और गहरी भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है, इस प्रस्तुति में विलंबित जुमला ताल के साथ और भी प्रभावशाली बन गया। यह ताल, जो अपनी धीमी और संतुलित लय के लिए प्रसिद्ध है, ‘शुभ दिन घड़ी आज प्रगट भये नंद कन्हाई’ के बोलों को एक अलौकिक आनंद प्रदान करता है। यह रचना भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और उनके आगमन की शुभता को चित्रित करती है, जिसे डॉ. गांवकर ने अपनी संगीतमयी साधना से जीवंत कर दिखाया।

‘नंद घर आज बधाई गावो सब मिल बजाओ गुणीजन...’ राग पहाड़ी ठुमरी ‘बातों-बातों में बीत गई रात मोरी....’ प्रस्तुति देकर मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रवीण गांवकर के साथ सारंगी पर वसीम खान, तबले पर रोहिदास परब, हारमोनियम पर सुभाष, तानपुरा पर विशाल राठौड़ एवं डिम्पी सुहालका ने संगत की।

डॉ. अमित गंगानी और उनके कथक नृत्य दल ने भगवान शिव की महिमामयी ‘शिव तांडव स्तोत्र’ को राग वसंत के स्वरों में प्रस्तुत कर एक अनूठा प्रदर्शन किया। यह प्रस्तुति नृत्य, संगीत और भक्ति का एक ऐसा मेल है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शिव तांडव स्तोत्र, जिसकी रचना रावण ने की थी, अपनी शक्ति और भक्ति भावना के लिए प्रसिद्ध है। डॉ. अमित गंगानी ने अपने दल के साथ इस स्तोत्र को राग वसंत की मधुरता में ढाला है। इस प्रस्तुति में कथक की तीव्र चालें, तांडव की ऊर्जा और राग वसंत के कोमल स्वरों का समन्वय देखने को मिला। डमरू की लय और कथक के इस प्रदर्शन ने और भी जीवंत बना दिया।

पंडित सुंदरलाल गंगानी द्वारा रचित पारंपरिक होरी को डॉ. अमित गगानी और उनके कथक नृत्य दल ने एक शानदार प्रस्तुति के रूप में मंच पर उतारा। यह प्रदर्शन होली के उत्सव की भावना को नृत्य और संगीत के माध्यम से जीवंत करने का एक अनुपम प्रयास है। इस होरी को कथक की लय और ताल में पिरोया है। इस प्रस्तुति में कथक के चक्कर और भावपूर्ण अभिनय के साथ होरी की मधुर धुन का संयोजन देखने को मिला, जो दर्शकों को होली के उत्साह में डुबो दिया। इसके साथ ही रांग हंस ध्वनि आधारित संगम दल द्वारा प्रस्तुत की गई। तबले पर पंडित राजेश गंगानी, हारमोनियम और गायन अभिषेक गंगानी, सारंगी पर पं. विनोद पंवार, बांसुरी और सितार पर बंटी आर्य, परकशन शिवम गिल द्वारा संगत की।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता

   

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