69वें महिला स्थिति आयोग सत्र में महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व के लिए डिजिटल एवं वित्तीय समावेशन पर रहा जोर

नई दिल्ली, 13 मार्च (हि.स.)। भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा संयुक्त रूप से 69वें महिला स्थिति आयोग सत्र का बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया।

गोलमेज सम्मेलन में महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व के लिए डिजिटल और वित्तीय समावेशन के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डाला गया। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वायत्तता में निवेश पर जोर देते हुए, इस कार्यक्रम ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे लैंगिक असमानता को दूर करने से विकास को गति मिल सकती है, गरीबी दूर हो सकती है और विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व को बढ़ावा मिल सकता है। इस कार्यक्रम ने बीजिंग प्लेटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन में चिंता के बारह महत्वपूर्ण क्षेत्रों को लागू करने के लिए उभरते मुद्दों और रणनीतियों पर अनुभव साझा करने हेतु एक वैश्विक मंच प्रदान किया, जिसमें दो मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्‍मेलनों के माध्यम से परस्पर जुड़े विषयों पर चर्चा की गई जिसमें “महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को गति देने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना” और “समावेशन का वित्तपोषण-मुख्य संसाधनों की महत्ता” शामिल है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार इन सम्‍मेलनों में दुनिया भर के मंत्री और उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका और इंडोनेशिया जैसे तीन महाद्वीपों के जी20 देशों के सदस्य और पनामा जैसे छोटे द्वीपीय विकासशील देश शामिल थे। मंत्रियों ने सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की रणनीतियों पर चर्चा की। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी के संबोधन से पहले, दो लघु फिल्में प्रदर्शित की गईं, जिनमें भारत सरकार के बड़े पैमाने पर डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और वित्तीय समावेशन पहलों के कारण समाज के सभी वर्गों की महिलाओं पर पड़ने वाले परिवर्तनकारी प्रभाव को दर्शाया गया।

पहले सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत ने डीपीआई का लाभ उठाते हुए सामाजिक सुरक्षा उपायों की स्थापना की है। महिला एवं बाल विकास मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को दोहराते हुए कहा- वर्तमान की प्रौद्योगिकी के लिहाज से उन्नत दुनिया में, प्रौद्योगिकी के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए संतुलित विनियमन की आवश्यकता है, विशेष रूप से सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों के लिए ई-गवर्नेंस का लाभ उठाने में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना एक सेतु होना चाहिए, न कि एक बाधा।

दूसरे सत्र में वित्तीय समावेशन, महिलाओं में निवेश और मुख्य संसाधनों की महत्ता - सरकारों द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं पर अनुभव साझा करते हुए, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि किस प्रकार हमने लाखों महिला उद्यमियों को, स्ट्रीट वेंडरों से लेकर कृषि-उद्यमियों और स्टार्ट-अप्स तक, सभी आकार के व्यवसायों के माध्यम से, उनके विकास को पोषित करने के लिए, शुरुआत से लेकर बड़े पैमाने तक, अनुरूपित वित्तीय नीतियों और योजनाओं के एक गुलदस्‍ते के जरिए सफलतापूर्वक सशक्त बनाया है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत न केवल व्यापार जगत में नए प्रवेशकों के सहपोषण का समर्थन करता है, बल्कि महिला उद्यमियों के कारोबार के विकास का भी समर्थन करता है।

उल्लेखनीय रूप से मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री के साथ संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश और संयुक्त राष्ट्र महिला की कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने भी भाग लिया।

भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने अपने संबोधन में भारत की आधारभूत पहचान पत्र आधार के परिवर्तनकारी प्रभाव, विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में, के बारे में विस्तार से बताया।

इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महिला की कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस, उप कार्यकारी निदेशक किरसी मादी और जी-20 महिला कार्य बल की सदस्य नयना सहस्रबुद्धे ने भी अपने विचार रखे।

यूएन विमेन की कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने कहा कि भारत में हमने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम(मनरेगा) के माध्यम से डिजिटल वित्तीय समावेशन की शक्ति देखी है और डिजिटल भुगतान से महिलाओं के रोजगार और स्वायत्तता में वृद्धि हुई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

   

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