हिसार : भूजल के अति दोहन के कारण निरंतर गिरता जा रहा जल स्तर : प्रो. बीआर कम्बोज
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- Feb 10, 2025
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-जल संरक्षण को राष्ट्रीय दायित्व के रूप में अपनाने का समय-हकृवि में तीन दिवसीय जलभृत प्रबंधन एवं स्थानीय भूजल मुद्दे’ पर कार्यक्रम शुरू
हिसार, 10 फरवरी (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा है कि भूजल के अति दोहन के कारण जल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। इसलिए कृषि के लिए जल की उपलब्धता एक मुख्य समस्या के रूप में उभरकर आ रही है। यदि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इसी तरह जारी रहा तो आने वाले समय में सिंचाई तो दूर की बात, लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल की भारी कमी हो सकती है।
कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज सोमवार को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं केन्द्रीय भूजल बोर्ड, (सीजीडब्ल्यूबी) उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, चंडीगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में ‘जन भागीदारी द्वारा जलभृत प्रबंधन एवं स्थानीय भूजल मुद्दे’ विषय पर तीन दिवसीय द्वितीय स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर संबोधन दे रहे थे। केन्द्रीय भूजल बोर्ड, (सीजीडब्ल्यूबी) चंडीगढ़ के क्षेत्रीय निदेशक विद्या नंद नेगी विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कुलपति बूंद-बूंद पानी का सदुपयोग करने के साथ जल उपयोग दक्षता के लिए टपका सिंचाई व फव्वारा सिंचाई को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में विश्वविद्यालय की ओर से समय-समय पर जल संरक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर सभी को पानी की कम से कम खपत करने के लिए प्रेरित किया जाता है। कृषि के लिए जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है। जल का उचित प्रबंधन व संरक्षण करके ही आने वाली पीढिय़ों के लिए जल को सुरक्षित रखा जा सकता है।
क्षेत्रीय निदेशक विद्या नंद नेगी ने कहा कि दुनिया भर के कई सिंचित क्षेत्रों में, जहाँ लाखों लोग रहते हैं, भूजल की कमी एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। वैश्विक स्तर पर, भूजल निष्कर्षण कुल निकासी का 33 प्रतिशत है, जो कृषि (42 प्रतिशत), घरेलू (36 प्रतिशत) और औद्योगिक (27 प्रतिशत) आवश्यकताओं को पूरा करता है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण और इसके प्रभावी प्रबंधन के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। प्रतिभागी भूजल मूल्यांकन, निगरानी और पुनर्भरण के लिए आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे, साथ ही टोपोशीट का उपयोग करके भूभौतिकीय सर्वेक्षण और जल विज्ञान संबंधी मूल्यांकन में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। प्रशिक्षण प्रतिभागियों को प्रभावी भूजल प्रबंधन के लिए जीआईएस और रिमोट सेंसिंग के उपयोग से भी परिचित कराएगा। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, सम्पदा अधिकारी एवं मुख्य अभियंता डॉ. एमएस सिद्धपुरिया, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, केन्द्रीय भूजल बोर्ड, चण्डीगढ़ से डॉ. राकेश राणा, डॉ. साकिब आज़मी, डॉ. आयुष केशरवानी डॉ. अमनदीप कौर व डॉ. गार्गी वालिया उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर