
कोलकाता, 07 मार्च (हि.स.)। ओलंपिक 15 बिलियन डॉलर (करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये) का एक आयोजन है। भारत 2036 में इसकी मेजबानी करना चाहता है, लेकिन क्या यह एक तर्कसंगत विचार है, खासकर तब जब भारत खेलों की महाशक्ति नहीं है? इस पर टेनिस दिग्गज महेश भूपति का स्पष्ट जवाब 'हां' था।
रेवस्पोर्ट्ज़ ट्रेलब्लेज़र्स 3.0 कॉन्क्लेव में शुक्रवार को भूपति ने कहा, हमें 2036 या 2046 में ओलंपिक की मेजबानी करनी ही चाहिए।
भूपति जानते हैं कि भारत में क्रिकेट को छोड़कर अन्य खेलों को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, बीसीसीआई पैसा गांवों और ज़िलों तक पहुंचाता है। बीसीसीआई एक निजी संगठन है और उसके पास संसाधन हैं, लेकिन अन्य खेलों के पास यह सुविधा नहीं है।
उन्होंने भारत की युवा टेनिस खिलाड़ी माया राजेश्वरन का उदाहरण दिया, जो फिलहाल स्पेन में राफेल नडाल की अकादमी में प्रशिक्षण ले रही हैं। भूपति ने कहा, टेनिस की दुनिया बहुत बड़ी है। हम यहां सिर्फ एक माया की बात कर रहे हैं, लेकिन स्पेन जैसे देशों में ऐसी 30-40 माया होती हैं।
फिर भी, भूपति मानते हैं कि भारत को ओलंपिक की मेजबानी करनी चाहिए, क्योंकि इससे देश में खेलों के विकास को गति मिलेगी।
स्क्वैश खिलाड़ी सौरव घोषाल ने भी इस विचार का समर्थन किया। उन्होंने कहा, यह बहुत ज़रूरी है कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए हम ऐसा करें।
पूर्व ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियन और भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि भारत 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में 107 पदक जीतने के बावजूद उस सफलता को आगे नहीं बढ़ा सका। तब हमारे पास बुनियादी ढांचा नहीं था, लेकिन अब हालात पहले से बेहतर हैं।
वहीं, वर्ल्ड एथलेटिक्स के उपाध्यक्ष अदिले सुमारीवाला ने कहा, हमें उन खेलों पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें कई पदक जीतने की संभावनाएं होती हैं।
कॉन्क्लेव में सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत को 2036 ओलंपिक की मेजबानी करनी चाहिए, ताकि खेलों के विकास की गति को तेज किया जा सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे