भारत ने एक दशक में 174 फीसदी रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन बढ़ाकर इतिहास रचा



- केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित​ किये गए
नई दिल्ली, 01 फरवरी (हि.स.)​। ​भारतीय सशस्त्र बलों को 2047 तक ‘आत्मनिर्भर’ ​बनाने के साथ ‘विकसित भारत​' का सपना पूरा करने के लिए केंद्रीय बजट का 13.45​ फीसदी हिस्सा रक्षा मंत्रालय को दिया गया है।​ शनिवार को संसद में पेश किये गए केंद्रीय बजट ​में रक्षा मंत्रालय ​को 6,81,210.27 करोड़ रुपये​ आवंटित किये गए हैं। यह​ वित्त वर्ष 2024-25 के बजटीय अनुमान से 9.53​ फीसदी अधिक और ​अन्य सभी मंत्रालयों में सबसे अधिक है। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन करके एक दशक में 174 फीसदी की प्रभावशाली वृद्धि की है। इसी तरह नि​र्यात 21,083 करोड़ तक पहुंचाने के साथ वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत करके आयात पर निर्भरता कम की है।​
मंत्रालय के अनुसार आवंटित बजट में से 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये यानी कुल आवंटन का 26.43 फीसदी रक्षा सेवाओं पर पूंजीगत व्यय पर खर्च किया जाएगा। सशस्त्र बलों के लिए आवंटन 3,11,732.30 करोड़ रुपये है, जो कुल आवंटन का 45.76 फीसदी है। रक्षा पेंशन को 1,60,795 करोड़ रुपये यानी 23.60 फीसदी और शेष 28,682.97 करोड़ रुपये यानी 4.21 फीसदी रक्षा मंत्रालय के तहत नागरिक संगठनों के लिए है। इसमें से 1,48,722.80 करोड़ रुपये पूंजी अधिग्रहण पर खर्च करने की योजना है, जिसे सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण बजट कहा जाता है। शेष 31,277.20 करोड़ रुपये अनुसंधान एवं विकास तथा देश भर में बुनियादी ढांचागत परिसंपत्तियों के निर्माण पर पूंजीगत व्यय के लिए है।
रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो एक रिकॉर्ड ऊंचाई है। यह 2014-15 में 46,429 करोड़ से लगभग 174 फीसदी की प्रभावशाली वृद्धि है।भारत चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन में 1.75 लाख करोड़ का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ तक पहुंचना है, जिससे वह वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में खुद को स्थापित कर सके।
रक्षा निर्यात में उछाल: भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2014-15 में 1941 करोड़ ​रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ ​रुपये हो गया है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में रक्षा निर्यात में 32.5​ फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।​ पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात 21 गुना ​बढ़ा है,जो वैश्विक रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।सरकारी नीतिगत सुधारों, व्यापार करने में आसानी की पहल और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित होकर भारत अब 100 से अधिक देशों को निर्यात करता है।भारत के ​पास 2023-24 मेंरक्षा निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्य अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया थे।​ अब 2029 तक रक्षा निर्यात 50​ हजार करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य है, जो भारत की विश्वसनीय वैश्विक रक्षा भागीदार बनने की महत्वाकांक्षा है।
निर्यात पोर्टफोलियो: भारत के निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर-228 विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज इंटरसेप्टर बोट और हल्के टॉरपीडो जैसे उन्नत उपकरण शामिल हैं।रूसी सेना के उपकरणों में 'मेड इन बिहार' बूटों को शामिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसने वैश्विक रक्षा बाजार में भारत के उच्च विनिर्माण मानकों को उजागर किया।भारत के रक्षा क्षेत्र में 2014 के बाद से उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं, ​जिससे बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर ​भारतीय सैन्य बल आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन पर केंद्रित हो गए ​हैं।
​रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज पेश किये गए केन्द्रीय बजट पर वित्त मंत्री ​निर्मला सीतारमण को प्रधानमंत्री ​नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप बजट पेश करने के लिए बधाई ​दी है।​ उन्होंने कहा कि इस बजट में समाज के गरीब वर्गों को सशक्त बनाने से लेकर किसानों, एमएसएमई से लेकर उद्योगों तक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उन्नत तकनीकों में अनुसंधान को भी मजबूत किया गया है।​ बजट में मध्यम और वेतनभोगी वर्ग का विशेष ध्यान रखा गया है।​ उन्होंने कहा कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस बजट में और बढ़ावा मिला है। वित्त वर्ष 25-26 के लिए रक्षा मंत्रालय के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।​ रक्षा बलों पर 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का पूंजीगत परिव्यय हमारे रक्षा बलों के आधुनिकीकरण​ औरविकसित भारत के विजन को साकार करने में एक बड़ी छलांग लगाएगा।

 

 

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम

   

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