गोरखपुर, 7 नवंबर (हि.स.)। समृद्धि, पुत्र प्राप्ति व मंगलकामना के पर्व छठ पर बृहस्पतिवार की शाम को डूबते सूर्य को व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया। शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा। वहीं व्रती महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद प्रशासन द्वारा की गई थी। घाटों पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, गोताखोर, जल पुलिस, सिविल पुलिस चप्पे चप्पे पर लगी रही। एडीजी जोन, डीआईजी रेंज, कमिश्नर, डीएम, एसएसपी, एसपी सिटी, एसपी नार्थ, एसपी दक्षिणी, एडीएम प्रशासन, एडीएम सिटी, एडीएम वित्त, सिटी मजिस्ट्रेट एवं एसडीएम सीओ सहित अन्य विभाग के अधिकारी भ्रमण सील रहे।
शाम होने से पहले ही व्रती तालाबों व नदियों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचने लगीं। राप्ती नदी के रामघाट, गोरखनाथ मंदिर के मानसरोवर सूरजकुंड धाम, रामगढ़ ताल, महेशरा मानीराम, रोहिन मीरपुर, पिपराइच सहित जनपद के हर गांव के तालाबों नदियों पर बड़ी संख्या में छठ व्रती अपने पूरे परिवार एवं गाजे-बाजे के साथ छठ घाट पर पहुंचे। शाम को पूरे विधि-विधान से छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य एवं छठ माता की आराधना की। बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि व अन्य लोग भी व्रतियों को पर्व की शुभकामनाएं देने छठ घाटों पर पहुंचे। सूर्य देव की उपासना का यह पर्व शुद्धता, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाला है। सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की पूजा का विधान है। इस व्रत में सूर्य और षष्ठी माता दोनों की उपासना होती है। इसलिए इसे सूर्यषष्ठी भी कहा जाता है। दिन में छठी व्रतियों ने गेहूं, घी व शक्कर का ठेकुआ, चावल, घी और शक्कर का लड्डू प्रसाद के लिए बनाया। बांस के बने सूप डाला, दौरा, टोकरी में प्रसाद को रखा गया। इसके साथ ही प्रसाद के रूप में सेब, केला, अमरूद, नींबू सहित अन्य फल प्रसाद के रूप में रखे गए। घरों से लेकर घाटों तक भक्तिपूर्ण माहौल बना रहा। छठ महापर्व की तैयारियां घरों में कई दिनों से चल रही थी। घरों से लेकर घाटों तक भक्ति के गीत गूंजते रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय