देश में 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए धर्मगुरुओं की बैठक, अंतरधार्मिक फोरम गठित करने पर बात आगे बढ़ी
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- Mar 19, 2025

नई दिल्ली, 19 मार्च (हि.स.)।
देश से बाल विवाह की कुप्रथा के खात्मे के लिए ऐतिहासिक एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए बुधवार को यहां 9 धर्मों व अन्य आस्थाओं के 30 प्रमुख धर्मगुरुओं ने एक बैठक की। इसमें हिंदू धर्म, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बहाई, बौद्ध , जैन, यहूदी धर्म, और पारसी धर्म के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस बैठक में 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं का एक राष्ट्र स्तरीय फोरम बनाने की संभावना पर चर्चा की गई।
इन धर्मगुरुओं के प्रभाव का इस्तेमाल कर बाल विवाह के बारे में जागरूकता के प्रसार, स्थानीय, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कानूनों को लागू करने में सक्रिय सहयोग और इस कुप्रथा के अंत के लिए अंतरधार्मिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन (आईसीपी) ने इस बैठक का आयोजन किया। इससे पहले नागरिक समाज संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोगी संगठन आईसीपी ने इससे पहले ‘चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ अभियान के तहत 22 जुलाई 2024 को एक अंतरधार्मिक संवाद का आयोजन किया था, जिसमें 9 धर्मों के धर्मगुरुओं ने हिस्सेदारी की थी।
इस संवाद की अहमियत को रेखांकित करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “सभी धर्मों के धर्मगुरुओं का साथ आना बाल विवाह के खात्मे की दिशा में एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी कदम है। बाल विवाह को किसी भी धार्मिक सत्ता का समर्थन नहीं है। यह अपराध है और अनैतिक है। बाल विवाह बच्चों से बलात्कार है और आस्था, परंपरा या संस्कृति के नाम पर इन बच्चों का शोषण एक गंभीर अपराध है। पिछले साल धर्मगुरुओं की बैठक ने बाल विवाह के खात्मे के खिलाफ लड़ाई को हवा देते हुए इसे एक वैश्विक आंदोलन में तब्दील कर दिया है और अब सिर्फ बाल विवाह मुक्त भारत ही नहीं बल्कि हम बाल विवाह मुक्त विश्व की तरफ बढ़ रहे हैं।”
इस पहल को समर्थन देते हुए राम कृष्ण मिशन के स्वामी कृपाकरनंद ने कहा, “ बाल विवाह एक शैतानी प्रथा है जो सभ्यता के प्रारंभ से ही है और पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यह एक ऐसी समस्या है जो हजारों साल से चली आ रही है और अब इसके समाधान के लिए उस तात्कालिकता के साथ प्रयास किए जा रहे हैं, जो बहुत पहले होने चाहिए थे। समाज और समुदाय के सशक्तीकरण और जागरूकता के प्रसार से ही हम इस घृणित प्रथा को समाप्त कर एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां हमारे बच्चों का बचपन पुष्पित-पल्लवित हो सके।”
बाल विवाह मुक्त भारत को साकार रूप देने के प्रयासों का पूर्ण समर्थन करते हुए डाइसिस ऑफ फरीदाबाद के आर्क बिशप मार कुरियाकोसे भरानीकुलांगारा ने बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील संस्कृतियों व समुदायों में जागरूकता के प्रचार-प्रसार की जरूरत पर जोर दिया। इस मौके पर आल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के सचिव फैजान मुनीर और मदरसे के प्रिंसिपल मुफ्ती असलम ने बाल विवाह के खिलाफ अभियान को हरसंभव सहयोग व समर्थन का वादा करते हुए कहा कि विवाह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और इस्लाम में बाल विवाह की इजाजत नहीं है। ओम शांति रिट्रीट की ब्रह्म कुमारी बहन हुसैन ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की।
उल्लेखनीय है कि देशव्यापी गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठन देश के 416 जिलों में मंदिर, मस्जिद व चर्च जैसे पूजास्थलों व अन्य स्थानों पर पोस्टरों व दीवार लेखन के माध्यम से बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का प्रसार कर रहे हैं। ये गैरसरकारी संगठन बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाने में स्थानीय धार्मिक नेताओं का भी सहयोग ले रहे हैं, जिससे जमीनी स्तर पर अभियान को मजबूती मिली है। इस नेटवर्क ने दावा किया कि उसने अब तक देश में 2,50,000 बाल विवाह रुकवाए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी