पाॅपुलरमैन के नाम से मशहूर वानिकी वैज्ञानिक डॉ. चन्द्रा पंचतत्व में विलीन

 वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा. वानिकी वैज्ञानिक डा. जे. पी. चन्द्रा.

- 121 प्रजातियों के पेटेण्ट उनके नाम हैं दर्ज

देहरादून, 03 मई (हि.स.)। विश्व में पाॅपुलरमैन के नाम से मशहूर वानिकी वैज्ञानिक 82 वर्षीय डॉ. जे. पी. चन्द्रा का आज अंतिम संस्कार हरिद्वार में किया गया। वह अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। डॉ चन्द्रा पौड़ी जिले के निवासी थे और कुछ दशकों से रूद्रपुर में रह रहे थे।

पाॅपुलरमैन के नाम से मशहूर वानिकी वैज्ञानिक 82 वर्षीय डॉ. जे. पी. चन्द्रा अपने घर पर सिर में आघात लगने पर उन्हें रुद्रपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ती देखकर कल तड़के उन्हें उपचार के लिए देहरादून लाया गया था। यहां कल शाम उन्होंने आखरी सांस ली। आज उनका अंतिम संस्कार आज हरिद्वार में किया गया।

82 वर्षीय डॉ. चन्द्रा ने पाॅपुलर, यूकेलिप्टिस के क्षेत्र में नये अनुसंधान और क्लोनिंग करके उनकी कई नई प्रजातियां विकसित की हैं। ऐसी करीब 121 प्रजातियों के पेटेण्ट उनके नाम दर्ज हैं। देश में वानिकी को नया रूप देने और आधुनिक अंदाज में नर्सरी विकसित करने के लिये भी उन्हें जाना जाता है।

इजराइल से वानिकी की नई टेक्नोलाॅजी वे भारत लाये थे। हिमाचल सरकार के वन विभाग में सेवाएं देने और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में सेवा के बाद उन्होंने लंबे समय तक पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में उद्यानिकी के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद विमको से जुड़कर पाॅपुलर की नई प्रजातियों पर शोध किया। कुछ ही वर्ष पहले ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने वानिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें डाक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा था।

वाईस चेयरपर्सन राखी घनशाला, डॉ. चन्द्रा के छोटे भाई वी. के. चन्द्रा, गोविन्द चन्द्रा, डॉ. सतीश घनशाला, डॉ. चन्द्रा के पुत्र कमल रूप चन्द्रा परिवार के सदस्यों, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिन्दर सिंह, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. संजय जसोला और रूद्रपुर, पौड़ी गढ़वाल एवं देहरादून के सैंकड़ो लोग उन्हें अंतिम विदाई देने हरिद्वार पहुंचे थे।

आज विश्वविद्यालय में शोक सभा करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। डॉ कमल घनशाला ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि डॉ चंद्रा ने देश में वानिकी को नये आयाम दिये हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश/प्रभात

   

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