सृष्टि ने जिया पिता का सपना, मेहनत की और जज बन गई

-पीसीएस-जे के नतीजे में सृष्टि बनियाल ने हासिल की दूसरी रैंक

देहरादून, 07 मई (हिस)। सृष्टि बनियाल की आंखें नम हैं। खुशी और गम दोनों तरह के अहसास हावी हैं। पिता अपनी आंखों के सामने उसे जज बनते देखते, तो खुशी दोगुनी होती। फिर भी, ये सुकून है कि अपने दिवंगत पिता गोपाल कृष्ण बनियाल के सपने को उन्होंने अंजाम तक पहुंचा दिया है। सृष्टि बनियाल ने उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल न्यायाधीश परीक्षा 2022 में दूसरी रैंक हासिल कर सफलता पाई है। इस परीक्षा में पूरे प्रदेश से सिर्फ 16 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।

सृष्टि के पिता स्वर्गीय गोपाल कृष्ण बनियाल का पिछले वर्ष देहांत हो गया था। वह भारत इलेक्ट्रानिक्स से रिटायर हुए थे। मूल रूप से पौड़ी जिले के बंठोली गांव निवासी सृष्टि का घर कोटद्वार में है, लेकिन वह कानून की पढ़ाई के सिलसिले में लंबे समय से प्रयागराज में हैं। उन्होंने इलाहबाद विश्वविद्यालय से पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड बीए-एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। पिता की प्रेरणा से सृष्टि ने पीसीएस-जे के लिए खूब मेहनत की। पिता का सपना था कि उनकी बेटी जज बने। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सृष्टि के साथ उनकी मां रेखा ने भी खूब मेहनत की, लेकिन इसी दौरान साल भर पहले पिता के असामायिक निधन ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। इन स्थितियों के बीच, सृष्टि ने खुद को संभाला और प्रयागराज जाकर खूब तैयारी की।

पीसीएस-जे के जारी हुए रिजल्ट में सफल 16 अभ्यथियों में सृष्टि का दूसरा स्थान है। हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में सृष्टि बनियाल ने कहा कि पिता का सपना पूरा करने पर बेहद खुशी है, लेकिन यह अफसोस भी है कि काश वो इस खुशी को देखने के लिए जिंदा होते। सृष्टि का कहना है कि गरीब और वंचित लोगों को न्याय दिलाने के लिए वह पूरी सामर्थ्य से कार्य करेंगी। सृष्टि का कहना है कि सफलता मेहनत मांगती है और एकाग्रता व मेहनत से किया गया कार्य फल देता है।

हिन्दुस्थान समाचार/विपिन बनियाल/रामानुज

   

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