दस मई को मनाया जाएगा अक्षय तृतीया का पर्व,12 मई रविवार को छः मासिक रविव्रत अंत : ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा

सहरसा , 08 मई (हि.स.)। कोसी क्षेत्र के चर्चित ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है।

हिंदू शास्त्रों के अनुसार ये दिन खास महत्व रखता है।पंडित तरुण झा ने बताया की इस बार अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयन्ती 10 मई शुक्रवार को होगा एवं 12 मई को छः माह से चली आ रही रविव्रत का अंत होगा।अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी के चांदी की चरण पादुका खरीदकर उसकी पूजा करके घर या दुकान के मंदिर में स्थापित करें।

वाहन खरीदने के लिए भी ये दिन उत्तम है। देवी लक्ष्मी का वास धन के साथ धान्य में भी होता है। अन्न का दान जरूर करें। इस दिन दान का सर्वाधिक महत्व होता है। इस दिन संभव हो तो पानी से भरी सुराही,अरवा चावल,दाल,सिंधा नमक, हरी सब्जी,घी, दही,चीनी, मिठाई फल एवं संभव हो तो वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है।

मिथिला परंपरा में एक दूसरे को शर्बत पिलाते हैं और गरीबो को दक्षिणा देते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके अक्षत,पुष्प, धूप-दीप और नैवेद्य से सूर्य देव की पूजा की जाती है तथा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है।

मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया पर गंगा नदी में स्नान करने से भक्त को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।इस दिन पितृ - संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद भी प्राप्त होता है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/गोविन्द

   

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