ढाई दिन के झोपडे़ में जैन मुनि ससंघ के जाने को रोकने व कथित टिप्पणी का विवाद गहरा

अजमेर, 13 मई (हि.स)। अजमेर के ढाई दिन के झोपड़े में जैन मुनि ससंघ के जाने को रोकने व कथित टिप्पणी किए जाने का विवाद गहरा गया है। सकल जैन समाज व सर्व समाज की ओर से जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की गई है। साथ ही संतों के अपमान बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी भी दी।

जैन समाज व हिन्दू संगठनों सहित अन्य समाज के लोग सोमवार सुबह कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां जैन समाज व विश्व हिन्दू परिषद की ओर से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपे गए। ज्ञापन के माध्यम से दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग व ढाई दिन के झोपड़े को सुरक्षित व संरक्षित करने की मांग की गई।

जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज द्वारा भारतीय पुरातत्व विभाग की संरक्षक सूची के स्मारक ढाई दिन के झोपड़े पर विहार किया गया। यह ढाई दिन का झोपड़ा पूर्व में संस्कृत विश्वविद्यालय एवं जैन मंदिर भी रहा है। वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग की संरक्षक सूची का स्मारक है। विहार के दौरान ही वहां उपस्थित कुछ युवकों ने जैन संतों व अनुयायियों को ढाई दिन के झोपड़े में प्रवेश करने से रोकने के दृष्टि से जैन संतों पर विपरीत टिप्पणियां की और प्रवेश नहीं करने दिया। बाद में समझाइश की गई कि यह स्थान भारतीय पुरातत्व विभाग के तहत आता है, जिसमें किसी वर्ग या धर्म विशेष का एकाधिकार नहीं है। सभी धर्म व वर्ग के व्यक्ति वहां प्रवेश कर सकते हैं। इसके बाद ही जैन संत अनुयायियों के साथ ढाई दिन के झोपड़े में प्रवेश कर पाए।

ज्ञापन में बताया गया कि इसके बाद एक ऑडियो प्रसारित हुआ, जिसमें दरगाह अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती ने अभद्र, अमर्यादित, अशोभनीय एवं साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए टिप्पणी की। इससे लोगों में रोष है। ढाई दिन का झोपड़ा अजमेर की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर है, आज उसको जिस रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए, वह उस रूप में संरक्षित नहीं हो पा रही है। इसे सुरक्षित व संरक्षित कर उचित कार्रवई की जाए। विहिप की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में बताया कि सोशल मीडिया पर अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती का एक ऑडियो प्रसारित हो रहा है, जिसमें संत आचार्य सुनील सागर महाराज द्वारा ढाई दिन के झोपड़े पर विहार करने को लेकर अभद्र, अमर्यादित, अशोभनीय एवं साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की टिप्पणी की। इससे सकल जैन समाज व सर्व समाज में अत्यधिक रोष है। सरवर चिश्ती ने जैन संतों को निर्वस्त्र प्रवेश रहने को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की। जबकि जैन संत दीक्षा से ही अपने वस्त्र त्याग कर प्रत्येक मौसम में एवं विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए दिगंबर अवस्था में ही कठिन तपस्या करते हैं। यह उनकी जीवन पद्धति है, जिसमें शताब्दी वर्षों से किसी भी समाज को कोई आपत्ति नहीं रही हैं। सभी समाज जैन संतों का इसी रूप में आदर, पूजा व सत्कार करते आए हैं। ज्ञापन में सरवर चिश्ती के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही किए जाने की मांग की गई।

गौरतलब है कि 7 मई 2024 जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज जैन संतों व आरएसएस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ ढाई दिन के झोपड़े में गए थे। इस दौरान उनके साथ कई जैन संत और हिंदू संगठन के नेता भी मौजूद थे। इसके बाद उन्होंने कहा- भारतीय संस्कृति मेल मिलाप की संस्कृति है और भगवान राम व महावीर ने अहिंसा का संदेश दिया। मैत्री भाव रखना चाहिए। एक-दूसरे के प्रति आदर भाव रखना चाहिए। वे बोले- इतिहास में पढ़ा करते थे ढाई दिन का झोपड़ा। वहां संस्कृत महाविद्यालय भी था और किसी जमाने में वहां मंदिर भी रहा होगा। मीडिया से बातचीत में उन्होंने दावा किया- पार्श्वनाथ गुफा वाले मंदिर में गए तो सौ से ज्यादा मूर्तियां रखी हुई थी। इसका मतलब वहां कभी जैन मंदिर भी रहा होगा। आपसी समझदारी से इन मसलों का हल निकालना चाहिए। जहां मस्जिद है वह रहे, लेकिन जहां मंदिर वगैरह डिस्टर्ब किए गए, वे प्राचीन स्वरूप में आने चाहिए।

आठ मई को जैन संतों के ढाई दिन के झोपड़े में जाने के बाद एक ऑडियो सामने आया, जिसे अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बताया जा रहा है। इसमें सरवर चिश्ती कहते सुनाई दे रहे हैं कि कैसे ढाई दिन का झोपड़ा में बिना कपड़े के लोग अंदर चले गए, अंदर मस्जिद भी है। इसकी शिकायत दरगाह थाना प्रभारी को की गई है। इस पर विरोध जताते हुए विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि ढाई दिन का झोपड़ा की सच्चाई जानने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पत्र लिखा जाएगा। जैन संत जीवन भर वस्त्र हीन रह कर समाज को अपरिग्रह और तपस्या पूर्ण जीवन का संदेश देते हैं। ऐसे जैन संतों के खिलाफ चिश्ती का बयान दुर्भाग्यपूर्ण और विकृत मानसिकता का परिचायक है। टिप्पणी समूचे जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान करने वाली है।

हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/संदीप

   

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