नवजात बच्ची को बर्फबारी के बीच नाले में फेंके जाने के मामले में दुष्कर्मी जीजा को 20 वर्ष का सश्रम कारावास

-नाबालिग किशोरी से उसके जीजा के अवैध संबंधों से पैदा हुई थी बच्ची, नाबालिग ने अपने चचेरे भाई को इस मामले में झूठा फंसाया, जिसने आत्महत्या कर ली थी

नैनीताल, 14 मई (हि.स.)। नैनीताल में एक बहुचर्चित मामले में व्यक्ति के अपनी 15 वर्षीय नाबालिग साली के साथ अवैध संबंध थे। उससे नाबालिग साली ने बच्ची पैदा की और बच्ची को पैदा होते ही बर्फबारी के बीच नाली में फेंक दिया और बात खुलने पर जीजा की जगह अपने चचेरे भाई को झूठा फंसा दिया। अब इस मामले में विशेष न्यायाधीश-पॉक्सो अधिनियम नंदन सिंह की अदालत ने दुष्कर्म के आरोपित जीजा को 20 साल की सजा सुनाई है और 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि नैनीताल के मल्लीताल क्षेत्र में 6 फरवरी 2020 को सर्दियों के दिनों में जबकि बर्फ पड़ी हुई थी, नाली में एक नवजात बच्ची मिली थी। उसे पहले बीडी पांडे और फिर डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। इससे नवजात की जान बच गई। इस मामले में पुलिस ने नवजात के फेंक जाने का मामला दर्ज कर जांच पड़ताल की। इस बीच बच्ची को जन्म देने वाली 15 साल की नाबालिग किशोरी की हालत बिगड़ी तो उसे हल्द्वानी के डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। पुलिस की जांच में डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भर्ती किशोरी ने कबूल किया कि नाली में फेंकी बच्ची उसी की है।

रिपोर्ट में जीजा निकला नवजात का पिता-

पुलिस की जांच में किशोरी ने मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि बच्ची का पिता उसका 17 वर्षीय चचेरा भाई है। इस मामले में पुलिस ने आरोपित किशोर के खिलाफ मल्लीताल थाने में अभियोग दर्ज किया और आरोपित किशोर को हिरासत में लेते हुए बाल सुधार गृह भेजा। इस दौरान किशोर बाल सुधार गृह से छूटकर आया तो 17 अप्रैल को उसने घर के पास ही पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली।

अलबत्ता मृत्यु से पहले किशोर और नवजात बच्ची के रक्त का नमूना लेकर भेज दिया गया था। उसकी मृत्यु के बाद रिपोर्ट आई तो आरोपित किशोर बच्ची का जैविक पिता नहीं पाया गया। इसके बाद किशोर के पिता ने अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर दोबारा जांच की मांग की। साथ ही बताया कि पीड़िता के घर उसके जीजा का आना-जाना था।

किशोरी ने जीजा से संबंध को स्वीकारा-

इसके बाद जीजा के रक्त का नमूना भी जांच के लिये एफएसएल भेजा गया। एफएसएल रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि जीजा ही नवजात बच्ची का जैविक पिता है। इसके बाद किशोरी ने भी माना कि उसके अपने सगे जीजा के साथ अवैध संबंध थे। पूरे मामले में अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने न्यायालय में 10 गवाह पेश किए। इस पर न्यायालय ने फोरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपित जीजा को दोषी पाते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी/रामानुज

   

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