लोस चुनाव : लखनऊ में सबसे छोटी जीत कांग्रेस और सबसे बड़ी भाजपा की रही

लखनऊ, 17 मई (हि.स.)। लखनऊ संसदीय सीट देश की वीआईपी सीटों में शुमार है। इस सीट से पांच बार सांसद रहे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की वजह से लखनऊ सीट की एक अलग पहचान है। लखनऊ लोकसभा सीट पर जीत हार की बात करें तो सबसे कम मार्जिन से यहां कांग्रेस जीती और सबसे बड़ी जीत भाजपा के खाते में दर्ज है। उल्लेखनीय है कि लखनऊ सीट पर पिछले तीन दशकों से भाजपा का कब्जा है।

12 हजार वोटों से जीते पुलिन बनर्जी

पुलिन बिहारी बनर्जी 1957 के आम चुनाव में लखनऊ संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी थे। पुलिन दा ने 12 हजार 485 मतों के अंतर से ये चुनाव जीता था। उनका मुकाबला जनसंघ प्रत्याशी अटल बिहारी वाजपेयी से था। पुलिन बनर्जी को 69,519 (40.75 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं जनसंघ प्रत्याशी के हिस्से में 57,034 (33.43 प्रतिशत) वोट आए। इस चुनाव में कुल 5 प्रत्याशी मैदान में थे। इस चुनाव में 45.12 फीसदी मतदान हुआ। कुल 1 लाख 70 हजार 579 वोटरों ने अपना मताधिकार का प्रयोग किया था। लखनऊ संसदीय सीट पर ये अब तक की सबसे छोटी जीत के तौर पर दर्ज है।

साढ़े तीन लाख वोटों से जीते राजनाथ

लखनऊ सीट पर 1991 से लगातार भाजपा का कब्जा है। 2019 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह चुनाव मैदान में थे। राजनाथ सिंह को 633,026 (56.64 प्रतिशत) वोट हासिल हुए। वहीं दूसरे स्थान पर रही समाजवादी पार्टी प्रत्याशी पूनम शत्रुघन सिन्हा को 285,724 (25.57 प्रतिशत) वोट मिले। कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णन 180,011 (16.11 प्रतिशत) वोटर पाकर अपनी जमानत गंवा बैठे। 2019 के चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन था। लखनऊ संसदीय सीट में 54.72 फीसदी मतदान हुआ। इस चुनाव में कुल 11 लाख 16 हजार 445 वोटरों ने अपना मताधिकार का प्रयोग किया था। लखनऊ संसदीय सीट पर अब तक हुए कुल 18 चुनाव में ये अब तक की सबसे बड़ी जीत के तौर पर अंकित है।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ.आशीष वशिष्ठ/राजेश

   

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