राइकाबाग-जैसलमेर रेल मार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा : सौ किमी प्रतिघंटा की स्पीड से दौड़ा इलेक्ट्रिक लोको

जोधपुर, 2 जुलाई (हि.स.)। उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल पर राइकाबाग से जैसलमेर रेल मार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है। सामरिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लगभग 300 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक पर जैसलमेर से आशापुरा गोमट स्टेशनों के बीच 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से इलेक्ट्रिक लोको से रन ट्रायल के बाद इसे इलेक्ट्रिक ट्रेनों के संचालन के लिए फिट माना गया है। इस मार्ग पर अब थैय्यात हमीरा से सोनू गुड्स साइडिंग के बीच 56 किमी रुट मार्ग पर इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शेष रह गया है जिसे जल्द पूरा करवा लिया जाएगा।

जोधपुर डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के प्रधान मुख्य बिजली इंजीनियर मनीष कुमार गुप्ता के निर्देशन में मुख्यालय व जोधपुर मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इलेक्ट्रिक लोको- 43411 से जैसलमेर-राइकाबाग रेल मार्ग के जैसलमेर से आशापुरा गोमट रेलवे स्टेशनों के बीच 100 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से सफल रन ट्रायल लिया। रन ट्रायल के लिए इलेक्ट्रिक लोको सायं 7.58 बजे जैसलमेर से रवाना होकर रात्रि 10.46 बजे आशापुरा गोमट पहुंच गया। इससे पहले प्रधान मुख्य बिजली इंजीनियर ने आशापुरा गोमट, भादरिया लाठी व जैसलमेर रेलवे स्टेशनों पर विद्युतीकरण कार्यों का गहन निरीक्षण किया। इसके साथ ही जोधपुर मंडल पर कराए जा रहे संपूर्ण विद्युतीकरण की दिशा में रेलवे ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए राइकाबाग से जैसलमेर रेल मार्ग के विद्युतीकरण कार्य पूरा करवा लिया है।

रन ट्रायल के दौरान प्रधान बिजली इंजीनियर मनीष कुमार गुप्ता के साथ मुख्य परियोजना प्रंबधक राजेश कुल्हारी, चीफ इलेक्ट्रिक इंजीनियर(वितरण) जगदीश चौधरी, उप मुख्य बिजली इंजीनियर जितेंद्र कटारिया, अपर मंडल रेल प्रबंधक राकेश कुमार, वरिष्ठ मंडल बिजली इंजीनियर(कर्षण) विपिन कुमार इत्यादि अधिकारी भी थे।

सामरिक व धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है जैसलमेर रेल मार्ग

जोधपुर-जैसलमेर रेल मार्ग की भारतीय रेलवे में बड़ी अहमियत है। जहां एक और यह लाइन देश को पश्चिमी सरहद से जोड़ती है वहीं दूसरी ओर धार्मिक दृष्टि से ओसियां, फलोदी, रामदेवरा व पोकरण जैसे प्रसिद्ध स्टेशनों पर देश भर से श्रद्धालुओं की आवाजाही वर्ष पर्यंत बनी रहती है। अब जब इस रेल लाइन का इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा हो गया है तो ट्रेनों के संचालन समय में कमी आएगी तथा रेलवे की डीजल पर निर्भरता कम होने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को गति मिलेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर

   

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