सोते परिवार पर आधी रात गिरी छत, मां-बेटी की मौत

भीलवाड़ा, 19 मई (हि.स.)। बड़लियास इलाके में घर में सो रहे परिवार पर अचानक छत भराभराकर आ गिरी। मां-बेटी की मौत हो गई। दूसरी बेटी घायल हो गई। पति बाल-बाल बच गया। लाइट नहीं होने के कारण घटना से कुछ ही क्षण पहले पति बाहर टहलने निकला था।

बड़लियास के रहने वाले भैरूसिंह (45) ने बताया कि शनिवार रात खाना खाकर मैं, पत्नी राधा (40), बड़ी बेटी सपना (13) और छोटी बेटी गणी (8) रात 10 बजे बरामदे में सोए थे। आजकल गांव में बिजली कटौती चल रही है। रात 12 बजे अक्सर लाइट चली जाती है। इसलिए कुछ दिन से घर के बरामदे में ही पूरा परिवार सो रहा है, ताकि ज्यादा गर्मी न लगे। भैरू सिंह के अनुसार रात 12 बजे के करीब बिजली चली गई। पत्नी और बेटियां सो रही थीं। मेरी आंख खुली। मुझे बेचैनी हुई तो मैं बरामदे से निकल कर घर के सामने टहलने लगा। लाइट जाने के कारण पूरा मोहल्ला अंधेरे में डूबा था। पांच मिनट बाद ही तेज धमाका हुआ और मकान का बरामदा धराशायी हो गया। इसके साथ-साथ सीढ़ियां भी ध्वस्त हो गईं। छत की पटि्टयां और मलबा पत्नी और बेटियों पर आ गिरा। मैं चीखने लगा। किसी तरह एक बेटी को मलबे से निकाला। मोहल्ले के लोग भी जुट गए। लोगों ने अपने स्तर पर टॉर्च आदि से उजाला किया और बचाव की कोशिश की। अंधेरा होने के कारण लोगों को राहत बचाव कार्य में परेशानी का सामना करना पड़ा। देर रात सरपंच प्रकाश चंद्र रेगर व पंचायत समिति सदस्य दिलीप सिंह भी मौके पर पहुंचे।

बड़लियास थाना इंचार्ज सिद्धार्थ प्रजापत ने बताया कि पत्नी और बड़ी बेटी पूरी तरह मलबे में दब चुकी थीं। पुलिस ने लोगों की मदद से पत्नी और दूसरी बेटी को मलबे से निकाला। घायल बेटी गणी को सवाईपुर सीएचसी लेकर गए। यहां से 108 एंबुलेंस से महात्मा गांधी हॉस्पिटल भीलवाड़ा भिजवाया गया। बच्ची का इलाज चल रहा है। पत्नी राधा और बड़ी बेटी सपना को बड़लियास हॉस्पिटल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। दोनों के शव बड़लियास हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखवाए। मकान 50 साल पुराना था। मकान की छत पत्थर की भारी-भरकम पटि्टयों की बनी थी। भैरू सिंह ने बताया कि तीन दिन पहले कारीगर आकर मकान देखकर गया था। मकान की मरम्मत करानी थी। मुहूर्त दूज (पांच दिन बाद) का निकला था। इससे पहले ही यह हादसा हो गया। एडीएम अजीत सिंह ने बताया कि मोर्चरी पर परिवार के लोग और ग्रामीण जुटे हुए थे। वे शव न उठाने पर अड़े थे। साथ ही 21 लाख रुपये मुआवजे की मांग गई थी। आठ लाख रुपये मुआवजे पर सहमति बनी है।

हिन्दुस्थान समाचार/मूलचंद/रोहित/संदीप

   

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