रामकृष्ण मिशन पर हमले के तीन दिन बाद भी अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बाहर

धार्मिक संस्थाओं को लेकर ममता की टिप्पणी के बाद हुआ हमला

कोलकाता, 21 मई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में बंगाली समुदाय की भावनाओं से जुड़े सबसे बड़े धार्मिक संगठन रामकृष्ण मिशन को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से की गई टिप्पणी के बाद एक शर्मनाक घटना हुई है। जलपाईगुड़ी में मिशन परिसर में घुसकर हथियारबंद बदमाशों ने सीसीटीवी कैमरे तोड़े, गाड़ियों में तोड़फोड़ की और साधु-संन्यासियों को बंदूकें दिखाकर डराया है। हमलावरों ने संन्यासियों को तुरंत जगह छोड़ कर जाने को कहा है, ऐसा नहीं करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है।

रविवार को हुई इस घटना के 48 घंटे से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। रामकृष्ण मिशन बंगाली समुदाय के लिए असीमित अहमियत रखता है। मिशन के एक अधिकारी ने मंगलवार को नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि रविवार तड़के यह घटना घटी, जिसके पीछे एक स्थानीय भू-माफिया का हाथ है। उन्होंने बताया कि करीब दस हथियारबंद युवक तड़के तीन बजे आश्रम में घुसे और पहले तल पर जाकर संतों के साथ 8 लोगों को बंदूक का भय दिखाते हुए परिसर छोड़ कर चले जाने की धमकी दी। युवकों ने परिसर में तोड़फोड़ की तथा सीसीटीवी कैमरे तोड़ कर मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया। बाद में पुलिस वालों ने ताला तोड़ा तथा संतों एवं कर्मियों बचाया। भक्तिनगर थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई गई है।

भाजपा की आईटी शाखा के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि संभवत: यह ममता बनर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल के साथ किया गया सबसे निकृष्टतम आचरण है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ उनके द्वारा खुले मंच से रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ और इस्कॉन को धमकी देने के बाद जलपाईगुड़ी के कोतवाली क्षेत्र में हथियार से लैस बदमाश रामकृष्ण मिशन के आश्रम में घुस गये, उन्होंने संतों पर हमला किया, सीसीटीवी को तोड़ दिया, साधुओं को बंधक बनाया और उन्हें धकेल कर सड़क पर पहुंचा दिया।’’

हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश/संजीव

   

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