अवैध तरीके से सरकारी जमीन पर बन रही है दुकानें

सरकार सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने के लिए बतौर अधिकारियों को निर्देश दे रही है। राजस्व विभाग के साथ साथ नगर कमेटियों और प्रशासन अधिकारियों को सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। जम्मू कश्मीर मे  अतिक्रमणकारियों पर शिकंजा कसे हुए है। राजस्व विभाग कई स्थानों पर कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटा रहा है। सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त किया जा रहा है। वन विभाग तक अपनी भूमि को खाली करवा रहा है। कुल मिलाकर हर स्थान पर अतिक्रमणकारियों पर नकेल कसी जा रही है लेकिन राज्य के प्रवेशद्वार में अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है। लखनपुर आज भी अतिक्रमण विरोधी अभियान से अछूता है। शायद यही कारण हे कि यहां अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली का लाभ उठाकर लोग अतिक्रमण करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।  पिछले कुछ वर्षो  से  कई सरकारी  खड़ और हाईवे  के किनारे पर  लोगों ने  अतिक्रमण  किया हुआ है।और  वही बिना कागजी कार्रवाई के  कैसे प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरकारी जगह  पर मकान बनाने का निर्माण  हुआ जिसे  हटाने के लिए प्रशासन ने फिलहाल  कोई प्रयास नहीं किया है। पिछले कुछ दिनों से कररोह, जंदोर मार्ग पर संचाई भूमि की जगह पर पेड़ पौधों को काटकर वहां पर दुकानों का टीन  शेड का निर्माण करवाया गया। लोगो ने इसकी जानकारी सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारियों को दी लेकिन पिछले तीन दिनों से कोई करवाई नही हुई। यही नहीं

तीन वर्ष पहले लखनपुर में  पूर्व  तहसीलदार ने निर्माण कार्यों को रोका था और सख्त कदम उठाने की बात कही थी। लेकिन उनका तबादला होने के बाद फिर किसी ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया और लोगों ने उनके तबादले के बाद  मकान दुकानें बना ली। लेकिन किसी का ध्यान इस ओर आकर्षित नहीं हो पाया है। यही नहीं कई अन्य स्थानों पर भी कुछ लोगों ने कब्जे कर रखे हें।  लेकिन अब तक इस ओर अतिक्रमणकारियों पर प्रयास नहीं हो पाए। म्यूनिसिपल कमेटी भी कार्रवाई से आनाकानी कर रही है।कस्बे में कई निर्माण कार्य बिना नक्शा पास किए हुए है । यही नहीं नगर कमेटी की मिलीभगत से कई दुकानों का विस्तार भी पिछले कुछ सालों से हुआ है लेकिन हैरानी है कि इस विस्तार को लेकर नगर कमेटी के अधिकारियों, कर्मियों ने चुप्पी साध रखी है। अब हैरानी इस बात की है कि अगर नगर कमेटी को काम ही नहीं करना है तो फिर यहां से सरकारी कर्मियों को लाखों का वेतन जारी करने की आखिर तुक क्या है। नगर कमेटी कस्बे में जारी न तो निर्माण कार्यों की जांच कर रही है और न ही सरकारी भूमि पर हुए कब्जे को छुड़ाने के लिए संजीदा है। यही नहीं नेशनल हाइवे किनारे भी दुकानों का निर्माण अवैध तरीके से हुआ है जिला प्रशासन को भी इस बारे में अच्छी खासी जानकारी है। लेकिन  नगर कमेटी उसपर भी कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। अगर कमेटी को इस तरह का कोई काम करना ही नहीं है तो फिर सरकार को चाहिए कि इस कमेटी को यहां भंग कर दिया जाए और कोई ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे तमाम कार्य पारदर्शी ढंग से हों। कमेटी की इस तरह की प्रणाली के चलते अधिकारियों से लेकर नुमाइंदों तक पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों यह लोग गैर कानूनी कार्यों पर भी बोलने को तैयार नहीं है। क्या कमेटी का एक्ट प्रभावी नहीं है कि बिना अनुमति के निर्माण करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो सकती, अगर एक्ट प्रभावी है तो अधिकारी और कर्मी किसके इशारे पर चुप्पी साधे हुए हैं, यह भी उच्च स्तरीय जांच का विषय है।

   

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