नक्सली लोहे के कारतूस का करने लगे हैं निर्माण

जगदलपुर, 13 जून (हि.स.)। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली बीजीएल जैसे विस्फोटक, बंदूक, तीर बम बनाने की बात सामने आ चुकी थी और अब नक्सली इससे भी एक कदम आगे बढ़कर लोहे के कारतूस का निर्माण करने लगे हैं। इसका खुलासा हाल ही में नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के गोबेल और वत्तेकाल के जंगलों में हुई मुठभेड़ के बाद हुआ है। यहां पुलिस को मुठभेड़ के बाद बड़ी मात्रा में लोहे के कारतूस मिले हैं।

पुलिस ने इन कारतूसों को बैलेस्टिक परीक्षण के लिए भेजा है। नक्सलियों के द्वारा हथियार के बाद बीजीएल जैसे विस्फोटक का निर्माण और उसके उपयोग एवं अब कारतूस का निर्माण इस ओर इंगित करता है कि नक्सलियों के पास हथियारों की भारी कमी हो गई है। वहीं दूसरी ओर नक्सलियों के द्वारा देशी बंदूक, देशी बीजीएल, तीर बम और देशी कारतूस बनाये जाने से नक्सलियों के खात्में की ओर बढ़ रही सुरक्षाबलों के लिए अब नक्सलियों के हथियार बनाने के कारखाने तक पंहुचने की चुनौती है।

बस्तर संभाग के सरहदी नक्सल प्रभावित इलाकों में चार दशक से सामांनतर कथित जनताना सरकार के रूप में काबिज नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए केंद्र एवं छग. की राज्य सरकार ने कमर कस ली है। छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद से ही लगातार नक्सलियों के गढ़ में सुरक्षाबलों के कैम्प लगाए जा रहे हैं। साथ ही सुरक्षाबलों के जवान उन इलाकों तक पहुंचकर मुठभेड़ कर रहे हैं, जिन इलाकों में कभी जवानों का पहुंचना कठिन हुआ करता था। लगातार मिल रही सफलताओं के बाद अब जवानों और सरकार ने यह दावा करना भी शुरू कर दिया है कि बस्तर में नक्सलवाद अब अंतिम सांस ले रहा ह। इसी बीच अबूझमाड़ के जंगल से 7 जून को हुई मुठभेड़ के बाद जवानों को कुछ ऐसे सामान बरामद हुए हैं जो सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती के रूप में है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अबूझमाड़ के गोबेल और वत्तेकाल के जंगलों में हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 6 नक्सलियों को मार गिराया था। साथ ही जवानों ने बड़ी संख्या में नक्सलियों के हथियार भी बरामद किए थे, जिसमें उन्हें बड़ी मात्रा में लोहे के कारतूस भी मिले हैं। इन कारतूसों के आकार को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इनका इस्तेमाल 12 बोर के बन्दूक में किया जा सकता है। विदित हो कि 12 बोर के बंदूक का निर्माण लम्बे समय से नक्सली कर रहे हैं, और बीते लंबे समय से होने वाले मुठभेड़ों में बड़ी मात्रा में 12 बोर बन्दूक बरामद किया जा रहा है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि घने जंगलों में नक्सली लगातार नए हथियार और विस्फोटकों के निर्माण पर न केवल लगातार काम कर रहे हैं, बल्कि इस प्रक्रिया में वे सफल भी हो रहे हैं।

विदित हो कि बस्तर के नक्सल प्रभाावित इलाके में कई बार जवानों को सघन सर्चिंग के दौरान नक्सलियों के हथियार बनाने की फैक्ट्रियां या छोटे कारखाने मिले है, जहां नक्सलियों द्वारा तरह-तरह के हथियार बनाए जाते रहे हैं। जिनमें रायफल और देशी कट्टे के साथ-साथ पिस्तौल जैसे हथियार भी शामिल हैं। जंगलों में हथियार और कारतूस बनाने के लिए नक्सली लेथ मशीनों का भी उपयोग करते हैं। इससे पहले दंतेवाड़ा में नक्सलियों को लेथ मशीन पहुंचाते हुए रायपुर के एक व्यापारी को गिरफ्तार किया गया था। उस व्यापारी ने भी यह जानकारी दी थी कि हथियार बनाने के लिए नक्सली मिनी लेथ मशीन का उपयोग कर रहे हैं। हाल ही में कांकेर जिले में भी नक्सलियों का हथियार बनाने का कारखाना जवानों ने बरामद किया था।

नक्सलियों द्वारा बनाए जा रहे देशी कारतूस को लेकर बस्तर आाईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि नक्सलियों के कोर इलाकों को जहां नक्सलियों का ज्यादा प्रभाव है उसे चारों ओर से कैम्प के माध्यम से घेर लिया गया है। जिससे बाद से ही उनकी सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ऐसे में नक्सली हथियारों की पूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर हथियार और बम का निर्माण करने लगे थे। लेकिन हाल में ही बरामद किए गए लोहे के कारतूस को देखकर ऐसा लग रहा है कि वे 12 बोर में इस्तेमाल करने के लिए बनाए गए कारतूस हैं। उन कारतूस को बैलेस्टिक परिक्षण के लिए भेजा गया है, उसकी रिपोर्ट आने पर स्थिति और क्लियर हो जाएगी। नक्सलियों की सभी रणनीतियों को ध्यान में रखकर बस्तर से नक्सलियों के खत्में की दिशा में लगातार कार्य किये जा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे/केशव

   

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