उप्र में रेशम के उत्पादन में प्रतिवर्ष 50 से 60 टन की हो वृद्धि : राकेश सचान

- रेशम कीट पालकों को कनार्टक भेजकर कराया जाएगा प्रशिक्षण

- प्रदेश में एक और नये प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना के लिए चिन्हित हो स्थान

लखनऊ, 13 जून (हि.स.)। रेशम कीट पालकों के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है, जितना अधिक प्रशिक्षण दिया जाएगा, इस खेती से जुड़े कृषकों को उतना ही अधिक लाभ होगा। इसके लिए कृषकों को समय-समय पर कर्नाटक भेज कर प्रशिक्षण कराया जाए। इसके अलावा प्रदेश में भी प्रशिक्षण दिये जाएं व एक और नये प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना के लिए स्थान चिन्हित किया जाए।

यह बातें गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई, रेशम उद्योग, खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री राकेश सचान ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कही।

उत्तर प्रदेश के रेशम उद्योग मंत्री राकेश सचान ने खादी भवन में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से रेशम विभाग के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि रेशम किसानों के प्रशिक्षण के लिए मिर्जापुर में प्रशिक्षण केंद्र पहले से स्थापित है, जहां पर गर्मी के मौसम में प्रशिक्षण कार्य बाधित होता है। ऐसे में रेशम की खेती से जुड़े हुए किसानों को प्रशिक्षण की आवश्यकता को देखते हुए प्रदेश में एक और नया प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए स्थान का चयन कर लिया जाए।

उन्होंने कहा कि रेशम की खेती से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ते हुए इसके उत्पादन तथा उत्पादकता को और अधिक बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। वर्तमान में रेशम उत्पादन की दर अपेक्षानुरूप नहीं है, प्रदेश में रेशम के उत्पादन में प्रतिवर्ष 50 से 60 टन की वृद्धि लायी जाय। प्रदेश में रेशम की मांग एवं उत्पादन के अंतर को कम करने के लिए एनजीओ और एफपीओ को जोड़ा जाए, परियोजना को केंद्रीय रेशम बोर्ड भारत सरकार से स्वीकृत भी कराया जाए।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/राजेश

   

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