हिन्दुवादियों ने फूंका कथावाचक प्रदीप का पुतला, जताया आक्रोश

पुतला दहन एवं आक्रोश व्यक्त करते हुए हिन्दूवादी नेता 

-कथावाचक महाधुर्त राधा रानी एवं बृजवासियों पर की गई टिप्पणी से जनमानस आहत : दिनेश शर्मा

मथुरा, 13 जून (हि.स.)। श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास एवं हिंदूवादियों ने गुरुवार शाम मथुरा के हृदय स्थल होली गेट पर कथावाचक प्रदीप मिश्रा का प्रतीकात्मक पुतला फूंक कर अपना आक्रोश जताया।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार दिनेश शर्मा ने नेतृत्व करते हुए कहा कि कथावाचक प्रदीप मिश्रा की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है उसने ब्रज की अधिष्ठात्री राधा रानी एवं बृजवासियों पर टिप्पणी कर महाधुर्त का काम किया है ऐसे व्यक्ति को धर्माचार्य बहिष्कृत करें।

हिंदू महासभा की जिला अध्यक्ष छाया गौतम ने कहा कि राधा रानी की कृपा से ही यह धनाढ्य बने हैं। उन्हीं के नाम का दिया खाते हैं और उन पर ही टिप्पणी करते हैं। जो सनातन विरोधी है वह हमारा दुश्मन है।

वहीं, महानगर अध्यक्ष नरेश ठाकुर संत हरिदास बाबा ने कहा कि ऐसे धूर्त को हम ब्रज में नहीं घुसने देंगे।

हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बाबा, महामंत्री प्रिंस पांडे, महानगर महामंत्री राहुल गौतम और ब्राह्मण सभा के राजेश पाठक ने कहा कि समय आ गया है, सनातन विरोधियों को सामूहिक रूप से बहिष्कृत किया जाए। जो महापाखंडी लोगों से कथा कर रहे हैं वह भी अपना सर्वनाश कर रहे हैं, ऐसे लोगों को जनमानस भी अस्वीकार करें।

प्रदेश मंत्री राजेश शास्त्री और दिनेश प्रधान ने कहा कि ऐसे लोगों के धन की जांच होनी चाहिए। धर्म को पाखंड बता रहे हैं, कथा के नाम पर टोना टोटका करवा रहे हैं, इससे हिंदू धर्म की बदनामी हो रही है।

पुतला दहन करने वालों में प्रमुख रूप से पवन गौतम, प्रिंस पांडे, जयराम शर्मा, राकेश जाट, विनेश कुंतल , रोहित चौधरी, मुनेश गौतम, संजीव वकील आदि उपस्थित रहे।

राधारानी पर टिप्पणी करने पर प्रेमानंद महाराज ने कहा, तुझे शर्म आनी चाहिए

चार श्लोक पढ़ क्या लिए, भागवत प्रवक्ता बन गए। तुम नरक में जाओगे, वृंदावन की भूमि से गरज कर यह कह रहा हूं : प्रेमानंद महाराज

ज्ञात रहे कि कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अपने प्रवचन में कहा था कि राधा के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। राधाजी का विवाह छाता में हुआ था। राधाजी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं। बरसाना में तो राधाजी के पिता की कचहरी थी, जहां वह सालभर में एक बार आती थीं। कथावाचक की टिप्पणी के बाद संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि लाडलीजी के बारे में तुम्हें पता ही क्या है? तुम जानते ही क्या हो? अगर तुम किसी संत के चरण रज का पान करके बात करते तो तुम्हारे मुख से कभी ऐसी वाणी नहीं निकलती। जैसा वेद कहते हैं, राधा और श्रीकृष्ण अलग नहीं हैं। तुझे तो शर्म आनी चाहिए। जिसके यश का गान करके जीता है, जिसका यश खाता है, जिसका यश गाकर तुझे नमस्कार और प्रणाम मिलता है, उसकी मयार्दा को तू नहीं जानता। श्रीजी की अवहेलना की बात करता है। कहते हैं कि वह इस बरसाने में नहीं हैं। संतों से अभी सामना पड़ा नहीं है। चार लोगों को घेरकर उनसे पैर पुजवाता है तो समझ लिया कि तू बड़ा भागवताचार्य है। रही बात श्रीजी बरसाने की हैं या नहीं तो तुमने कितने ग्रंथों का अध्ययन किया है? चार श्लोक पढ़ क्या लिए, भागवत प्रवक्ता बन गए। तुम नरक में जाओगे, वृंदावन की भूमि से गरज कर यह कह रहा हूं।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/आकाश

   

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