पश्चिम बंगाल साहित्य, संगीत और कलाओं की समृद्ध धरा: राज्यपाल

जयपुर, 20 जून (हि.स.)। राजभवन में गुरुवार को पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस मनाया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस दौरान पश्चिम बंगाल के स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनसे संवाद किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल के सतत विकास और समृद्धि की कामना करते हुए स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि पश्चिम बंगाल साहित्य, संगीत और कलाओं की दृष्टि से ही संपन्न प्रदेश नहीं है बल्कि आजादी आंदोलन के क्रांतिकारियों की भी यह पुण्य धरा रही है। उन्होंने स्वामी रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद से जुड़े रोचक किस्से भी साझा किए। उन्होने कहा कि रामकृष्ण परमहंस मानवता के अप्रतिम उदाहरण है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के प्रखर व्यक्तित्व और शिकागो के धर्म सम्मेलन में उनकी रही भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने इस अवसर पर पश्चिम बंगाल को भारत की गौरव भूमि बताते हुए कहा कि विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, आजाद हिंद फौज बनाने वाले सुभाष चन्द्र बोस, क्रांतिकारियों के आध्यात्मिक गुरु अरबिंदो घोष, महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु, महान फिल्म निर्माता- निर्देशक सत्यजीत राय आदि इसी धरती के रहे हैं और उन्होंने विश्व भर में भारत को गौरवान्वित किया।

मिश्र ने कहा कि राजभवन में राज्यों के स्थापना दिवस मनाने की अर्थ ही है, 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की संकल्पना से जन- जन को जोड़ना। उन्होने कहा कि बंगाल ने ही रवीन्द्रनाथ टैगोर का राष्ट्रगान 'जन गण मन' हमें सौंपा तो राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' की रचना भी बंगाल के ही बंकिमचन्द्र ने की। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल ने ही सबसे पहले ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ क्रांतिकारियों की फौज खड़ी की। स्वदेशी आंदोलन के बाद बंगाल में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद का सूत्रपात हुआ।

उन्होंने पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस पर महान शिक्षाविद और चिंतक श्यामाप्रसाद मुखर्जी को भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल का आज जो स्वतंत्र स्वरूप हमें दिखाई दे रहा है, उसमें बहुत बड़ी भूमिका श्यामाप्रसाद मुखर्जी की ही रही है। आरंभ में पश्चिम बंगाल के कलाकारों ने 'आमार राष्ट्र भूमि' के संगीतमय गान से बंगाल की धरती में समाए भारतीय गौरव को साकार किया। समारोह में राजभवन में जनजाति कल्याण विभाग की निदेशक श्रीमती कविता सिंह सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। आरंभ में उन्होंने संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

   

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