नक्सल प्रभावित मुदवेंडी गांव में 20 वर्ष बाद नए शिक्षा सत्र से खुलेगा स्कूल

बीजापुर, 25 जून (हि.स.)। जिले के घुर नक्सल प्रभावित मुदवेंडी गांव में नए शिक्षा सत्र में 26 जून से स्कूल की घंटी बजनी शुरु हो जाएगी। सड़क और सुरक्षा के विस्तार के बाद जिला प्रशासन के प्रयासों से अब मुदवेंडी के बच्चों को 20 वर्ष बाद शिक्षा के अधिकार का लाभ मिलेगा और अशिक्षा के अंधकार से मुक्ति मिलेगी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और कलेक्टर अनुराग पाण्डेय के प्रयासों से नक्सल प्रभावित इलाकों में नियद नेल्लानार के जरिये विकास की पहुंच और स्कूल वेंडे वर्राटू पंडूम से शिक्षा की मुख्यधारा में लौटने की अपील का असर दिखने लगा है। जिले के नक्सल प्रभावित डुमरीपालनार, तोड़का, सावनार, कोरचोली, कावड़गांव जैसे गांव में भी 20 वर्ष बाद स्कूल खुल रहे हैं।

बीजापुर कलेक्टर अनुराग पाण्डेय ने बताया कि जिला प्रशासन आवश्यक बुनियादी जरूरतों के अलावा गांव के ही शिक्षित बेरोजगारों को शिक्षादूत की जिम्मेदारी देकर निश्चित मानदेय मुहैया करा रहा है । जिला प्रशासन की टीम शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों की शाला में वापसी के लिए ग्रामीणों के बीच पहुंचकर स्कूल वेंडे वर्राटू पंडूम के तहत घर-घर दस्तक अभियान से यह संभव हुआ है। शिक्षा के फायदे और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की जानकारी देकर ग्रामीणों को आश्वास्त किया गया कि भविष्य को संवारने में शिक्षा ही महत्वपूर्ण माध्यम है। सड़क एवं सुरक्षा के विस्तार के बीच ग्रामीण अब आश्वास्त है कि उनके बच्चों का भविष्य विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा।

उल्लेखनीय है कि बीते कुछ समय पूर्व मुदवेंडी गांव में पुलिस नक्सली मुठभेड़ के दौरान क्रॉस फायरिंग में 6 माह की बच्ची की गोली लगने से मौत हो गई थी, तब यह गांव सुर्खियों में आया था। अब वही गांव नियद नेल्लानार से फिर से आबाद हो रहा है। बुनियादि सुविधाओं के विस्तार के साथ-साथ सुरक्षा मिलने से स्कूल वेंडे वर्राटू पंडुम से 24 बंद और 32 नये स्कूल की शुरूआत का प्रयास सफल हो रहा है। जिला प्रशासन की मुहिम स्कूल वेंडे वर्राट पंडुम का व्यापक प्रभाव माओवाद प्रभावित इलाकों में देखने को मिल रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे/केशव

   

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