सिरसा: जबरन पारित किए गए तीन नए आपराधिक कानूनों को तुरंत रोका जाए: कुमारी सैलजा

संसद में इन कानूनों पर फिर से चर्चा हो, उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाए

कहा- ये कानून किसी न किसी समय बड़ी संख्या में नागरिकों को प्रभावित करेंगे

सिरसा,1 जुलाई(हि.स.)। चुनाव में राजनीतिक व नैतिक झटके के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा वाले संविधान का आदर करने का खूब दिखावा कर रहें हैं, पर सच तो ये है कि सोमवार से जो आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन कानून लागू हुए हैं, वो 146 सांसदों को सस्पेंड कर जबरन पारित किए गए। अब ये बुलडोजर न्याय संसदीय प्रणाली पर नहीं चलने देगा। उन्होंने कहा कि इस बिल को फिर से संसद में पेश कर उस पर बहस करवाकर पारित करवाया जाए।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि आज पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। आज से देश में आईपीसी सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो रहे हैं। उन्होंने कहा है कि तुरंत ही इन तीनों कानूनों को रोका जाए। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए पुलिसिया स्टेट की नींव डाली जा रही है। नए क्रिमिनल कानून भारत को वेलफेयर स्टेट से पुलिस स्टेट बनाने की नींव रखेंगे। उन्होंने कहा कि संसद में इन कानूनों पर फिर से चर्चा हो उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों, न्यायिक अधिकारियों और कानूनी पेशेवरों के लिए आगे बड़ी चुनौतियां हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये कानून किसी न किसी समय बड़ी संख्या में नागरिकों को प्रभावित करेंगे। जिस तरह से सरकार ने इन कानूनों को संसद में लाने के लिए जल्दबाजी की और जिस तरह से इसे लागू किया, वह लोकतंत्र में वांछनीय नहीं है। इन कानूनों पर न तो संसद समिति में पर्याप्त रूप से चर्चा की गई और न ही सदन में व्यापक रूप से चर्चा हुई, यहां तक कि हितधारकों के साथ कोई परामर्श भी नहीं किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/संजीव

   

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