सूरत वन मंडल के दो क्षेत्र को अभयारण्य बनाने के लिए होगा सर्वेक्षण

-तेंदुआ-मानव संघर्ष की घटनाएं रोकने के लिए बनेगी कारगर रणनीति

-मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की अध्यक्षता में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक

गांधीनगर, 2 जनवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में मंगलवार को गांधीनगर में राज्य वन्यजीव बोर्ड की 23वीं बैठक हुई। इस बैठक में वन विभाग को सूरत वन मंडल के दो विभागों के 69,668.51 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र के अक्षुण्ण वन को अभयारण्य के रूप में घोषित करने के लिए प्राथमिक सर्वेक्षण की कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी जिले के उमरपाडा, वडपाडा, मांडवी उत्तर और दक्षिण तथा तापी व्यारा के खेरवाड़ा, टाप्ती और वाजपुर सहित 7 रेन्जों और अक्षुण्ण वन की जानकारी सहित वनस्पतियों (फ्लोरा) और जीवों (फौना) का प्राथमिक सर्वेक्षण का कार्य शुरू करेंगे। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने इस बैठक में मानव जीवन के विकास के साथ-साथ वन्य जीव सृष्टि और पर्यावरण के जतन-संवर्धन के साथ समन्वित विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिए गए ‘मिशन लाइफ’(पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के विचार को केंद्र में रखने का प्रेरक मार्गदर्शन दिया।

मुख्यमंत्री के समक्ष इस बैठक में राज्य के 7 अभयारण्यों में भूमिगत ऑप्टिकल फाइबर केबल, मोबाइल टाॅवर और सड़कों सहित 15 कार्यों के प्रस्ताव रखे गए। ये कार्य घुड़खर अभयारण्य के अलावा कच्छ, बालाराम-अंबाजी, नारायण सरोवर, गिर, जांबुघोड़ा और सुरपाणेश्वर अभयारण्य क्षेत्र में किए जाएंगे। वन मंत्री मूळुभाई बेरा, राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल और मुख्य सचिव राज कुमार ने भी इस बैठक में विभिन्न सुझाव दिए। इस बैठक में राज्य में मानव-तेंदुआ संघर्ष की घटनाओं पर काबू पाने के लिए वन विभाग के किए गए दीर्घकालिक सुरक्षात्मक उपायों और कार्यों के संबंध में विचार-विमर्श किया गया।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) नित्यानंद श्रीवास्तव ने इस संदर्भ में एक विस्तृत प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। जिसमें बताया गया कि हिंसक तेंदुओं को ट्रैंक्विलाइज यानी शांत-बेहोश करने के लिए पर्याप्त मात्रा में ट्रैंक्विलाइजर गन खरीदी की कार्यवाही की जा रही है। दक्षिण गुजरात क्षेत्र में घनी मानव आबादी होने के कारण, मानव आबादी के आसपास आने वाले तेंदुओं को पकड़ने के लिए प्रति तहसील 10 पिंजरों की खरीदी का भी आयोजन है। विभाग ने तेंदुओं के व्यवहार का अध्ययन और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ट्रैप कैमरे की खरीदी की कार्यवाही के साथ ही तेंदुओं को रेडियो कॉलर लगाने का काम भी किया है। पांच तेंदुओं को रेडियो कॉलर भी लगाया गया है। बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि दक्षिण गुजरात के सूरत और वलसाड में दो नए रेस्क्यू सेंटर बनाने की कार्यवाही प्रगति पर है तथा हाल ही में पावागढ़ और जांबुघोड़ा में रेस्क्यू सेंटर संचालित किए गए हैं।

मुख्य सचिव राज कुमार ने वन विभाग को तेंदुओं को मानव आबादी से दूर वन क्षेत्र में संरक्षित स्थान पर बसाने के लिए दीर्घकालिक उपाय के रूप में पुनर्वास केंद्र (रिहैबिलिटेशन सेंटर) स्थापित करने की दिशा में योजना बनाने का सुझाव दिया। बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव पंकज जोशी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख यू.डी. सिंह, प्रधान सचिव संजीव कुमार, मुख्य प्रधान वन संरक्षक तथा बोर्ड के सदस्य, विधायक महेशभाई कसवाला, मालतीबेन महेश्वरी और वन्यजीव सृष्टि से जुड़े संगठनों के सदस्य भी मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/सुनील

   

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