अश्व पर सवार होकर आएगी इस बार मकर संक्रांति

जयपुर, 9 जनवरी (हि.स.)। इस बार संक्रांति अश्व पर सवार होकर आएगी। उप वाहन सिंह का होगा। पौष माह की मकर संक्रांति विशेष रूप से फलदाई मानी गई है। संक्रांति के स्वरूप के अनुसार लोगों की सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी, मंगल कार्य होंगे। साथ ही अनाज का उत्पादन अच्छा होगा। रोगों के निवारण के लिए विशेष कार्य होंगे।

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष की तरह इस बार भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को होगी। इस दिन पूरे दिन पुण्यकाल रहेगा। पिछले तीन सालों से लगातार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।

ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति 14 जनवरी की रात्रि में प्रवेश करेगी और 15 जनवरी को मनाई जाएगी। पिछले कुछ सालों से संक्रांति 14 जनवरी की मध्य रात्रि में आ रही है।

शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान करने से साधक के लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। गंगा स्नान करने से 10 अश्वमेध यज्ञ और 1000 गाय दान करने के समान शुभ फल की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पिछले जन्म के बुरे कर्मों से निजात मिलती है और जीवन सुखमय होता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

   

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