अधिक ठंड में नवजात शिशुओं की देखभाल अति आवश्यक : डॉ निमिषा अवस्थी

कानपुर,10 जनवरी (हि.स.)। अधिक ठंड में नवजात शिशुओं की देखभाल अति आवश्यक होती है। मौसम में होने वाले बदलाव से उनकी सेहत सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। यदि तनिक भी लापरवाही हुई तो उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है। यह जानकारी बुधवार को ‘हिन्दुस्थान समाचार’ प्रतिनिधि से चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर की गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने दी।

उन्होंने बताया कि नवजात शिशु की शारीरिक संरचना बहुत कोमल होती है। मौसम में होने वाले बदलाव से उनकी सेहत सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। अगर यह आपके बच्चे की पहली सर्दी है तो आपको उसकी देखभाल हेतु निम्न बातों का ध्यान चाहिए।

जाने ठंड में कैसे रखें नवजात शिशुओं का ध्यान

गृह वैज्ञानिक ने बताया कि शिशु को थोड़ी देर के लिए धूप में लेकर बैठें क्योंकि सूरज की रोशनी से मिलने वाला विटामिन डी शिशु की हड्डियों के विकास में सहायक होता है।

कमरे का तापमान

यह ऐसी जरूरी बात है जिस पर अधिकतर माताओं का ध्यान नहीं जाता। सर्दी के मौसम में कमरे का तापमान हमेशा 25-30 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि तापमान में स्थिरता बनी रहे। अगर आप शिशु को घर के एक से दूसरे कमरे में ले जाते हैं, तो भी इस बात का ध्यान रखें कि वहां का तापमान भी एक समान रहे।

रिसर्च में हो चुका है साबित शिशुओं के शरीर की मालिश करना जरूरी

निमिषा अवस्थी ने बताया कि अब तक किए गए रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि मालिश शिशु की मांसपेशियों और हड्डियों के विकास में मददगार साबित होता है। इसके लिए आप अपनी पसंद के अनुसार ऑलिव या नारियल के तेल का चुनाव कर सकते हैं। सर्दियों में सरसो के तेल या अन्य किसी गरम तेल का प्रयोग कर सकते हैं मालिश के बाद शिशु को बंद कमरे में हल्के गुनगुने पानी से नहलाएं और उसे ज्यादा देर तक बिना कपड़ों के खुला ना छोड़ें उसे ठंड लग सकती है। स्नान चाहे कितनी भी ठंड हो, उसे रोजाना नहलाएं। बेहतर यही होता है कि शिशु को नहलाते समय अपने पास मदद के लिए कोई एक और व्यक्ति मौजूद हो। उस दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि उसकी नाक-कान में पानी न जाए। इसके लिए बच्चे का सिर ऊंचा रखें और कान में रुई लगा सकते हैं । प्रतिदिन नहाने से शिशु को गंदगी की वजह से होने वाले संक्रमण से बचाव होता है।

शिशुओं के वस्त्रों के चुनाव में इन बातों का रखें ध्यान

निमिषा अवस्थी ने बताया कि बच्चे के कपड़ो की पहली सतह हमेशा ही मुलायम सूती हो, ऊनी कपड़े सीधे बच्चे की स्किन से टच न हों, इससे उसे एलर्जी हो सकती है। बच्चो को कई सतह कपड़े पहना देते हैं, जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और बच्चा बेचैनी महसूस कर सकता है। चिकित्सकों के अनुसार कपड़ो की तीन सतह बच्चे को ठंड से बचाने को पर्याप्त है। बच्चे को टोपी पहनाना भी जरूरी है किंतु टोपी बहुत टाइट न हो और रात में सोते समय टोपी और मोजे उतार कर ही सुलाएं। और सोते समय उसका चेहरा हमेशा खुला रहे ताकि बच्चे को साफ हवा मिल सकें सांस के लिए ठंड का मौसम शुष्क होता है तो शिशु को एलर्जी, या रुखे पन की शिकायत हो सकती है, इसलिए ठंड के मौसम में नहाने के तुरंत बाद शिशु के पूरे शरीर में मॉइस्चराइजर या नारियल का तेल लगाएं फिर कपड़े पहनायें। इसके साथ ही छै महीने तक बच्चे के लिए माँ का दूध ही संपूर्ण आहार है अतः उसे कुछ भी बाहर का न दें ।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/मोहित

   

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