स्कूली शिक्षा में नई तकनीक और संस्कारों से विद्यार्थियों का भविष्य संवारे: शिक्षा मंत्री

जयपुर, 13 जनवरी (हि.स.)। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा है कि प्रदेश में स्कूली शिक्षा में नई तकनीक और प्राचीन संस्कारों के समन्वय से विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने के लिए हर स्तर पर सतत पहल और प्रयास हो। इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन पावर की पुख्ता व्यवस्था के बाद ही नए स्कूल खोले, जिससे विद्यार्थियों को उनका पूरा लाभ मिले। उन्होंने प्रदेश में संचालित हो रहे महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों के बारे में कहा कि इनमें टीचर्स की पर्याप्त संख्या और भवनों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाए, उसके बाद आगे की दिशा तय हो।

दिलावर शनिवार को शासन सचिवालय में स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में रिक्त पदों को भरने के लिए आवश्यक एक्सरसाइज करे और शिक्षकों एवं कार्मिकों की पदोन्नति के लंबित प्रकरणों का समयबद्ध रूप से निस्तारण किया जाए। उन्होंने प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को लागू करने के लिए रोड मैप निर्धारित करने के भी निर्देश दिए।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है, इसे केन्द्र में रखकर विभागीय गतिविधियों का प्रभावी संचालन किया जाए। अधिकारी, शिक्षक और कार्मिक भी विभागीय टीम के महत्वपूर्ण अंग है, मगर इनको इस कीमत पर कोई ऐसी राहत नहीं दी जा सकती है, जिससे सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत हमारे लाखों विद्यार्थियों का कोई अहित हो। अब अधिकारियों, शिक्षकों और कार्मिकों को विभाग में सजगता के साथ अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। उन्होंने कहा सभी स्कूलों में सभी श्रेणी के टीचर्स सहित प्रधानाध्यापक, प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल निर्धारित नॉर्म्स के अनुसार कक्षाओं में अध्यापन कराएं, इसी पुख्ता मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही नई नियुक्तियों के जरिए विद्यालयों में रिक्त शैक्षिक पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने के निर्देश दिए।

दिलावर ने कहा कि सभी बालिकाओं को गुणवतापूर्ण शिक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकता और हमारी जिम्मेदारी है। गरीब परिवारों की बालिकाएं बड़ी संख्या में सरकारी विद्यालयों में प्रवेश लेकर अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करे, इस पर विशेष फोकस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विद्यालय शिक्षा के मंदिर है, ये हमेशा साफ-सुथरे रहे, इसके लिए इनमें साफ-सफाई और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए, इससे स्कूलों में पढ़ाई के लिए आदर्श माहौल बनेगा। स्कूलों में पुस्तकालयों की स्थिति में सुधार और रैक्स जैसे आवश्यक संसाधनों की पूर्ति करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाए, जिससे वहां विद्यार्थी ज्ञानवर्धक पुस्तकों का अधिकतम सदुपयोग कर सके।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक, शिक्षक ही बने रहे, उनकी सेवाओं का गैर शैक्षिक कार्यों में अनावश्यक रूप से उपयोग नहीं हो इसकी विभागीय अधिकारियों के स्तर पर सतत मॉनिटरिंग की जाए। चाहे कम्प्यूटर विषय के शिक्षक हो या फिर अन्य विषयों के अध्यापक चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में सीमित अवधि के लिए ही उनकी सेवाएं ली जाए, कहीं पर भी अध्यापक लम्बे समय तक अपने मूल कार्य को छोड़कर अन्यत्र सेवाएं नहीं दे, इसे सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कार्मिकों के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृतियों को समय पर जारी करने, पत्रावलियों के समयबद्ध निस्तारण तथा तकनीक अधिकतम उपयोग करते हुए विद्यालय विकास से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। इसके साथ ही विद्यालयों से बार-बार एक ही प्रकार और आवश्यकता के बिना बार-बार सूचनाएं मंगवाने की प्रवृति पर अंकुश लगाने के निर्देश देते हुए कहा कि आगे से इसे गम्भीरता से लिया जाएगा।

बैठक में शासन सचिव नवीन जैन ने विभाग की 100 दिवसीय कार्ययोजना, अन्य विभागीय योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ ही इनकी प्रगति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन और विद्यालय विकास गतिविधियों के निरीक्षण के लिए शाला दर्पण पोर्टल के मॉड्यूल को काफी प्रभावी बनाया गया है। आने वाले दिनों में इस मॉड्यूल के तहत प्रिंसिपल की निरीक्षण डायरी को भी डिजिटल किया जाएगा।

बैठक में मिड डे मील, साक्षरता और सतत शिक्षा, राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल, स्टेट ओपन स्कूल और समग्र शिक्षा सहित विभाग की अन्य गतिविधियों के बारे में अलग-अलग अधिकारियों ने प्रस्तुतीकरण दिए।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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