बस्तर के साहित्यकार ने की है हल्बी में श्रीराम कथा व चालीसा की रचना

जगदलपुर, 21जनवरी(हि.स.)। बस्तर के साहित्यकार स्व. लाला जगदलपुरी ने भगवान श्रीराम के दंडकारण्य प्रवास की कथा से बस्तर के आंचलिक साहित्य संपदा को समृद्ध किया था। पांच दशक पूर्व उन्होंने स्थानीय आदिवासी बोली हल्बी में श्रीराम चालीसा और श्रीराम कथा की रचना की थी।

श्रीराम के दंडकारण्य प्रवास में बिताए गए समय की गाथा पर आधारित उनकी यह दोनों रचनाएं उनके परिवार के सदस्य संभाल कर रखे हुए हैं। रामकथा में रामचरितमानस की कथा का सारांश में वर्णन है, यह रचना भोपाल से प्रकाशित हुई थी। लाला जगदलपुरी की रचनाएं बस्तर में साहित्य क्षेत्र की धरोहर हैं।

स्वर्गीय लाला जगदलपुरी के परिवार के विकास श्रीवास्तव ने बताया कि वे इन दोनों रचनाओं के अलावा उनकी लिखी अन्य साहित्यिक रचनाओं का पुन: प्रकाशन नई दिल्ली के नेशनल बुक ट्रस्ट से करवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि यह रचनाएं स्थानीय बोली में यहां के पाठकों को उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि हल्बी में लिखे गये राम कथा 104 पेज की है और इसमें रामकथा में 21 अध्याय का संकलन है। जिसमें श्रीराम जनम, श्रीराम बिहाव, दुय वरदान, श्रीराम बनवास जैसे अध्याय के साथ ही लड़ई, नांग फांलाले मुकति, मेघनाथ बध, रावन बध जैसे अध्याय हैं। अध्याय के साथ ही इसमें रेखांकन के माध्यम से कथा का चित्रण भी नजर आता है।

हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

   

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