रचनाकारों को भी खोजना होगा एआई को बेहतर उपयोग - जस्टिस माथुर

जोधपुर, 29 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की अपरिहार्यता के साथ साथ अभिव्यक्ति के रचनात्मक कला एवं साहित्य को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बेहतर उपयोग के तरीके खोजने पर बल दिया है।

वे कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान द्वारा रविवार को होटल चन्द्रा इन के प्रेक्षागृह में आयोजित राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर ने कहा कि एआई नैसर्गिक रचनात्मक प्रतिभा पर विपरीत प्रभाव डालेगी। इसका स्वाभाविक परिणाम कला और साहित्य के स्तर का ह्रास होगा। यह चिंता स्वाभाविक अवश्य है, परन्तु इतनी गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि विज्ञान समाज के विकास में सबसे बड़ा उत्प्रेरक रहा है। विज्ञान ही है जो प्रकृति की जटिलता को खोलकर जीवन को सरल बनाता है। विज्ञान और तकनीकी के इस विकास को रोका नहीं जा सकता है। हमें ही अपने आप को विकास के साथ-साथ आगे बढ़ना होगा।

उन्होंने कहा कि उनका मानना है कला और साहित्य अभिव्यक्ति के रचनात्मक स्वरूप हैं और मनुष्य सदैव इन्हें अधिक से अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रयत्नशील रहा है। मनुष्य ने हमेशा अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए नए तरीके खोजे हैं। आर्टिफिशयल इन्टेलिजेन्स अब उन्हें ऐसा करने में और अधिक सक्षम बना रहा है। यह हमें सोचना होगा कि विज्ञान की इस महान खोज को किस तरह हम रचनात्मक उपकरण के रूप में अपनाते हैं। हमें अपनी कलात्मक पहचान और भावनात्मक अनुवाद को संरक्षित करते हुए एआई के लाभों का दोहन करने के तरीके खोजने होंगे। हम जितना शीघ्र अपने आपको इस नयी तकनीकी के अनुकूल ढाल लें उतना ही अच्छा है, क्योंकि आज के समय में साहित्यकारों, पत्रकारों और अन्य सभी रचनात्मक लोगों को मानव-जाति के हित में बहुत प्रगतिशील और प्रासंगिक भूमिका का वहन करना है।

समारोह के अध्यक्ष प्रख्यात कथाकार एवं शायर हबीब कैफ़ी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में पुरस्कारों को लेकर विवाद हो सकता है, होते भी रहे हैं। लेकिन सम्मान को लेकर कहीं भी कोई विवाद की सूरत नहीं बनती। इस दृष्टि से देखा जाए तो कथा संस्थान जोधपुर द्वारा प्रदत्त सम्मानों की अपनी एक गरिमा बनी रही है और निश्चित रूप से यह खोज खोज कर हकदारों को सम्मानित करने की स्वस्थ परंपरा है।

समारोह के विशिष्ट अतिथि जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रोफेसर केएल श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी साहित्य में रचनात्मक लेखन अब राजस्थान में शिफ्ट होता जा रहा है। यहां के साहित्यकार न केवल पूरे भारत में अपनी पहचान स्थापित कर रहे हैं, अपितु विश्व स्तर पर अपनी रचनात्मकता की छाप छोड़ रहे हैं। उन्होंने कथा संस्थान के संस्थापक सचिव साहित्यकार मीठेश निर्माेही को बधाई देते हुए कहा कि जो कार्य शैक्षणिक संस्थान नहीं कर पा रहे हैं ऐसे कार्य कथा संस्थान बहुत अच्छे ढंग से कर रहा है।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रख्यात प्रवासी भारतीय साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा ने भी विचार रखे। समारोह में अतिथियों ने अलंकृत होने वाली विभूतियों को माल्यार्पण कर शॉल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र के साथ साहित्य भेंट कर सम्मानित किया।

ये विभूतियां हुईं सम्मानित:

कथा संस्थान के संस्थापक सचिव साहित्यकार मीठेश निर्माेही ने बताया कि समारोह में कथा अलंकरण श्रृंखला में वर्ष 2023-24 में जोधपुर में जन्मी हिन्दी की जानी-मानी कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ (जयपुर) तथा राजस्थानी भाषा के लब्ध प्रतिष्ठ निबंधकार एवं इतिहासकार प्रोफेसर जहूर खां मेहर को उनके समग्र सृजन कर्म तथा ‘सीमान्त लोक संगठन’ के अध्यक्ष, पाक विशिष्ट संघ एवं यूनिवर्सल जस्ट एक्शन सोसाइटी - उजास के संस्थापक तथा भारत में पाक विस्थापितों एवं दक्षिण एशिया के शरणार्थी अधिकारों के लिए के संघर्ष करने वाले सुविख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हिन्दू सिंह सोढ़ा (जोधपुर) को उनके द्वारा की गई विशिष्ट सामाजिक सेवाओं के दृष्टिगत ‘‘सूर्यनगर शिखर सम्मान’’ से अलंकृत किया गया।

हिन्दी के सुप्रतिष्ठ कवि विनोद पदरज (सवाई माधोपुर) को उनके कविता संग्रह ‘यत्क्रोंचमिथुनादेकम् पर ‘नन्द चतुर्वेदी कविता सम्मान’ हिन्दी के सुप्रतिष्ठ कथाकार डॉ. प्रबोध कुमार गोविल (जयपुर) को उनके समग्र सृजन कर्म पर ‘‘पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी कथा सम्मान’’ तथा हिन्दी की ही सुप्रतिष्ठ कथाकार प्रगति गुप्ता (जोधपुर) को उनके कथा संग्रह ‘स्टेपल्ड पर्चियां’ पर ‘‘रघुनंदन त्रिवेदी कथा सम्मान’’ से अलंकृत किया गया।

इसी तरह राजस्थानी में ख्यातनाम कवि एवं अनुवादक डॉ. मंगत बादल (रायसिंह नगर-श्री गंगानगर) को उनके समग्र सृजन कर्म पर ‘‘सत्यप्रकाश जोशी कविता सम्मान’’, जाने-माने राजस्थानी कथाकार डॉ. जितेन्द्र सोनी (जयपुर) को उनके राजस्थानी कहानी संग्रह ‘भरखमा’ पर ‘‘सांवर दइया कथा सम्मान’’ तथा हिन्दी एवं राजस्थानी और हिन्दी के सुप्रतिष्ठ कहानीकार एवं उपन्यासकार डॉ. ओम भाटिया (जैसलमेर) को उनके हिन्दी एवं राजस्थानी के समग्र सृजन कर्म पर ‘‘चैन सिंह परिहार कथा सम्मान’’, राजस्थान मूल के असमिया और हिन्दी के सुप्रतिष्ठ साहित्यकार, अनुवादक एवं लिप्यंतरण कर्ता देवी प्रसाद बागड़ोदिया (डिब्रूगढ़ - आसाम) को राजस्थानी से असमिया में लिप्यंतरित पुस्तक ‘मीराबाई’ पर ‘‘अगर चंद नाहटा लिप्यांतरण सम्मान’’ एवं राजस्थानी के जाने-माने साहित्यकार एवं अनुवादक डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा (सुजान गढ़) को असमिया एवं सिंधी भाषा की कृतियों के राजस्थानी अनुवाद पर ‘‘डॉ. नारायणसिंह भाटी अनुवाद सम्मान’’ तथा उर्दू की सुप्रतिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) सरवत खान (उदयपुर) को उनके समग्र सृजन कर्म - कहानी एवं उपन्यास सर्जना पर ‘इस्मत चुग़ताई कथा सम्मान’ से अलंकृत किया गया।

इसी तरह साहित्यिक पत्रकारिता में विशिष्ट अवदान के लिए हिन्दी की साहित्यिक वार्षिकी ‘कथारंग’ के यशस्वी संपादक एवं साहित्यकार डॉ. हरीश बी.शर्मा (बीकानेर) को ‘‘प्रकाश जैन ‘लहर’ साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान’’, बाल साहित्य की मासिक पत्रिका ‘‘बाल वाटिका’’ के यशस्वी संपादक एवं साहित्यकार डॉ. भैरूंलाल गर्ग (भीलवाड़ा) को ‘‘जयप्रकाश भारती साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान’’ तथा राजस्थानी त्रैमासिक ‘‘कथेसर’’ के यशस्वी संपादक एवं साहित्यकार रामस्वरूप ‘किसान’ को ‘‘पारस अरोड़ा ‘अपरंच’ साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान’’ तथा पत्रकारिता क्षेत्र में अपने जीवनकाल में किये गये विशिष्ट अवदान के लिए यशस्वी पत्रकार द्वय गुलाब बत्रा (जयपुर) को ‘‘गोवर्द्धन हेड़ाऊ रचनात्मक पत्रकारिता सम्मान’’ एवं सैयद मुनव्वर अली (जोधपुर ) को ‘‘चंद्रशेखर अरोड़ा रचनात्मक पत्रकारिता सम्मान’’ से अलंकृत किया गया।

इस अवसर हाल ही में राजस्थान साहित्य अकादमी प्रदत्त मीरा पुरस्कार से समादृत डॉ पद्मजा शर्मा को कथा संस्थान की ओर से प्रख्यात शायर शीन काफ निजाम ने शाल ओढ़ा कर सम्मानित किया।

समारोह में दशरथ कुमार सोलंकी, डॉ. कालूराम परिहार, डॉ. प्रकाशदान चारण, माधव सिंह राठौड़ नें कथा संस्थान से अलंकृत होने वाले हिंदी, राजस्थानी, उर्दू एवं असमियां साहित्यकारों, सामाजिक कार्यकर्त्ता,साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादकों, अनुवादक, लिप्यंतरणकर्त्ता पत्रकारों के परिचय पढ़े। समारोह का संचालन कमलेश तिवारी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता कौशल/संदीप

   

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