जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीमदभगवत गीता : प्रो. अनिल गुप्ता

कानपुर, 05 फरवरी (हि.स.)। श्रीमदभगवत गीता का अध्ययन सभी लोगों को करना चाहिए, इसमें आध्यात्म के साथ जीवन से जुड़ी बहुत सी जानकारी हासिल होती है। वर्तमान भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में प्रबंधन के रूप में भगवत गीता पढ़ाई जा रही है। भारत में भारतीय प्रबंधन संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में गीता का पाठ पढ़ाया जा रहा है और यह जीवन जीने की कला भी सिखाती है। यह बातें सोमवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में प्रो. अनिल गुप्ता ने कही।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के 59वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में श्रीमदभगवत गीता शोध पीठ के द्वारा सोमवार को पत्रकारिता विभाग में गीता और हमारा जीवन विषय पर व्याख्यान हुआ।

मुख्य वक्ता प्रो. अनिल गुप्ता ने छात्र छात्राओं को भगवत गीता के बारे में बताते हुए कहा कि गीता के श्लोक गणित के सूत्र की तरह होते हैं। इनको अपनाकर हम सकारात्मक जीवन जी सकते हैं। गीता में सारी समस्याओं का हल है। छात्रों को अपने जीवन में गीता का पाठ करना चाहिए।

इस मौके पर विद्यार्थियों ने अपने प्रश्न पूछकर जिज्ञासा को शांत भी किया। प्रो. गुप्ता ने विद्यार्थियों को बताया कि देश के बड़े उद्यमी रतन टाटा की यह पसंदीदा किताब है। उन्होंने प्राचीन काल के उदाहरण देते हुए महाभारत के कृष्ण-अर्जुन संवाद की चर्चा की और बताया कि इस विषय पर विदेशों में शोध कार्य किया जाता है। इसमें राजनीतिक मनोविज्ञान, धर्म, समाज सबकी यही किताब है। बच्चों को गीता के उपदेशों का पालन करना चाहिए और जीवन जीने की कला सीखनी चहिए।

इस दौरान डॉ दिवाकर अवस्थी, डॉ ओम शंकर गुप्ता, डॉ प्रशांत मिश्रा, डॉ योगेंद्र पांडेय, डॉ विशाल शर्मा, सागर कनौजिया आदि मौजूद रहें।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/दीपक/आकाश

   

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