आधुनिक चिकित्सा पद्धति को चुनौती दे रहीं देहरादून की डॉ. निशि भट्ट

- यूनिक माइंड प्रोग्रामिंग पद्धति से वेस्ट सिंड्रोम का सफल इलाज

- बच्चों काे मिल रहा नया जीवन, स्वस्थ जीवन की राह बना रही आसान

देहरादून, 15 फरवरी (हि.स.)। हर बीमारी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से हो सकता है। यह संभव कर दिखाया है देहरादून के राजपुर रोड स्थित नाड़ी योगा केंद्र की डॉ. निशि भट्ट ने। उनके इलाज से अब तक हजारों बच्चे ठीक हो चुके हैं, जो आधुनिक चिकित्सा पद्धति को चुनौती दे रही हैं। वे वेस्ट सिंड्रोम जैसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का सफल इलाज कर रही हैं। ऐसे में अब वेस्ट सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे स्वस्थ जीवन जी सकेंगे। इसके लिए ऐसे बच्चों के माता-पिता को घबराने की जरूरत नहीं है। यूनिक माइंड प्रोग्रामिंग पद्धति से ऐसे बच्चों को नया जीवन मिलेगा और परिवार में खुशहाली आएगी।

वेस्ट सिंड्रोम के लक्षण-

यूनिक माइंड प्रोग्रामिंग पद्धति से वेस्ट सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों के सफल इलाज के बारे में गुरुवार को डॉ. निशि भट्ट ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वेस्ट सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे जन्म से ही माता-पिता के ऊपर एक चुनौती बन जाते हैं। ऐसे बच्चे सही इलाज न मिलने पर 5-7 वर्षों तक ही जीवित रहते हैं। वेस्ट सिंड्रोम एक ऐसा सिंड्रोम है, जो बच्चों में जन्म के समय से ही शुरू हो जाता है। शरीर और दिमाग की सक्रियता को कम करता है। इससे सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है, बच्चे हाथ-पैर हिलाना बंद कर देते हैं। उठने-बैठने की शक्ति छीन हो जाती है। कई बार बच्चे इतने सुस्त दिखाई पड़ते हैं, जिसमें वह अपने गर्दन को इधर-उधर हिला भी नहीं सकते, आंखों का विजन खत्म हो जाता है और बच्चे किस तरफ देख रहे हैं, यह भी अंदाजा नहीं लगा सकते।

क्या होता है वेस्ट सिंड्रोम-

वेस्ट सिंड्रोम एक प्रकार से मिर्गी का रोग है जो कि शरीर में ऐंठन से होता है। यह असामान्य ब्रेन तरंगें और मानसिक मंदता की वजह से होता है। इसमें होने वाली ऐंठन किसी को झुक कर अभिवादन करने की मुद्रा में होती है, जिसमें शरीर आधा झुक जाता है। इसके साथ ही इसमें कंधों की गतिशीलता और आंखों में बदलाव भी हो सकता है।

महाराष्ट्र के परिवार की कहानी...खुशी का ठिकाना नहीं

यूनिक माइंड प्रोग्रामिंग पद्धति से बेटे के सफल इलाज पर महाराष्ट्र के एक परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। महाराष्ट्र से देहरादून पहुंचे 18 माह के अद्विक के माता-पिता बताते हैं कि वे अपने बेटे के इलाज के लिए सभी बड़े अस्पतालों में जा चुके हैं। सभी बड़े-बड़े डॉक्टर ने एक तरफ से मना कर दिया था, तभी डॉ. निशि के बारे में पता चला फिर महाराष्ट्र से देहरादून पहुंचे और महज तीन माह के अंदर बच्चे में 80 प्रतिशत सुधार दिखने लगा। एमआरआई और ईईजी में भी बहुत बदलाव आए हैं। शरीर और संज्ञानात्मक विकास भी दिख रहा है। अब वह अपने हाथ-पैर का मूवमेंट अच्छे से कर लेता है और बैठ भी सकता है, क्रालिंग भी कर लेता है। उन्होंने कहा कि पहले प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर ऐसा भरोसा नहीं था, जो डॉ. निशि भट्ट ने दिलाया है।

लंदन, कनाडा, बाली और चीन की विभिन्न चिकित्सा पद्धति जानती हैं डॉ. निशि-

डॉ. निशि भट्ट लंदन, कनाडा, बाली और चीन जैसे देशों में 15 से ज्यादा चिकित्सा पद्धति सीख चुकी हैं और अब तक हजारों बच्चों को अपनी चिकित्सा की यूनिक पद्धतियों से ठीक कर चुकी हैं। वे बताती हैं, कई बार ऐसा देखा गया है कि माता-पिता को भी अपने बच्चों की बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होती। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में हर बीमारी के इलाज के उपाय हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज

   

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