मातृ-पितृ पूजन समारोह संपन्न

बच्चों को सुसंस्कारित करती है मां : स्वामी निर्गुणानन्द जी

कोलकाता, 19 फ़रवरी (हि.स.)। हर व्यक्ति को पार्वती-परमेश्वर के रूप में अपने माता-पिता का पूजन करना चाहिए। यहीं सनातन धर्म की शिक्षा है। संसार के अन्य धर्मों में कहीं भी नारी जाति का इतना सम्मान नहीं हैं जितना सनातन धर्म में है, यही हमारी जीवनदायिनी शक्ति है।''

उपरोक्त बातें प्रेम मंदिर, रिसड़ा के प्रधान स्वामी श्री निगुंणानन्द जो महाराज ने मारुति सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित छठे 'मातृ-पितृ पूजन समारोह' को संबोधित करते हुए कही।

समारोह में मंत्रोच्चार के साथ करीब 90 माता-पिताओं का वंदन-पूजन उनके बच्चों द्वारा किया गया।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे जाने-माने साहित्यकार बंशीधर शर्मा ने कहा कि 'मातृ-पितृ देवो भवः' भारतीय संस्कृति का अमृत स्वर निनाद है। उन्होंने उक्त आशय के कुछ स्वरचित दोहे भी सुनाए।

प्रधान अतिथि समाजसेवी महावीर बजाज ने कहा कि परम्पराओं से पोषित भौतिक प्रगति ही समृद्धि कहलाती है। अत: ऐसे संस्कारजनित आयोजनों के माध्यम से हम समृद्ध भारत का निर्माण कर सकेंगे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में पुलवामा के शहीदों को पुष्पांजलि दी गई। कार्यक्रम का संचालन किया मारुति सेवा समिति के संरक्षक नवनीत ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन राजेश कुमार दूबे ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ मधुप

   

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