भोपालः भदभदा बस्ती के 20 मकान ढहाए, गुरुवार को जमींदोज किए जाएंगे सौ घर

भोपाल, 21 फरवरी (हि.स.)। नगर निगम ने जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग से बुधवार को राजधानी भोपाल में ताज होटल के सामने बसी भदभदा बस्ती में रहने वाले 386 परिवारों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे पहले इन्हें दो दिन की मोहलत दी गई थी। मोहलत खत्म होने के बाद बुधवार को नगर निगम का बुल्डोजर बस्ती पर चलना शुरू हो गया। पहले दिन झील के किनारे बने कच्चे-पक्के करीब 20 मकानों को जमींदोज किया गया। सुबह 9 बजे शुरू हुई कार्रवाई शाम करीब 6 बजे तक चली। गुरुवार को 100 मकानों को ढहाने का टारगेट सेट किया गया है। इधर, 150 परिवारों ने मुआवजा राशि लेकर खुद से मकानों को खाली कर दिया। वह अपने रिश्तेदारों और किराए के मकानों में शिफ्ट हो गए, जबकि आठ परिवारों के पास कोई ठिकाना न होने की वजह से उन्हें जवाहर चौक स्थित ट्रांजिट हाउस में शिफ्ट किया गया है।

इससे पहले सुबह 6 बजे नगर निगम अधिकारियों ने भदभदा बस्ती में अतिक्रमण विरोधी अमले के साथ डेरा डाल लिया था। निगम अमला अतिक्रमण हटाने के लिए दो दर्जन से ज्यादा जेसीबी और पोकलेन मशीनों और 50 से ज्यादा डंपरों के साथ साथ पहुंचा था। कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा विरोध या हंगामा किए जाने पर बनने वाली आपात स्थिति से निपटने के लिए आठ थानों की पुलिस के साथ ही दो हजार से ज्यादा पुलिस बल मौके पर तैनात किया गया था। हालात ये थे कि भदभदा बस्ती को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था। बस्ती की तरफ जाने वाली सड़कों को 500 से 800 मीटर पहले ही बेरीकेट लगार ब्लॉक कर दिया गया था। जिला प्रशासन, पुलिस और नगर निगम के अलावा किसी को बस्ती में आने-जाने की इजाजत नहीं थी। मीडिया को कार्रवाई के दौरान पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया था। हालांकि दोपहर बाद मीडिया को बस्ती में जाने दिया गया।

गौरतलब है कि एनजीटी ने जिला प्रशासन सहित नगर निगम को बड़ी झील के कैचमेंट में बसी भदभदा बस्ती को हटाने का निर्देश दिया है। यह मामला बीते करीब चार सालों से एनजीटी में चल रहा है। एनजीटी में बस्ती में चिन्हित किए गए 386 कच्चे-पक्के (मकानों) अतिक्रमणों को हटाने का आदेश दिया है। इस मामले मेंअगली सुनवाई 12 मार्च को होनी है, जिससे पहले निगम अतिक्रमणों को हटा रहा है। अतिक्रमण 19 फरवरी को हटाया जाना था, लिहाजा निगम ने तीन दिन पहले बस्ती में मुनादी करा लोगों को खुद ही शिफ्ट होने को कहा था। इसके बाद कलेक्टर ने 20 फरवरी तक खुद ही शिफ्ट होने की मोहलत दी। साथ ही निगम को गाड़ियां और अमला मुहैया करा शिफ्टिंग में लोगों की मदद करने को कहा था। साथ ही रहवासियों से साफ कर दिया था कि कोर्ट का आदेश है, जिसे हर हाल में अमल में लाया जाएगा। लेकिन, रहवासियों ने कलेक्टर के आदेश को सिरे से खारिज कर दिया। निगम अमला गाड़ियों के साथ बस्ती पहुंचा, लेकिन सारा दिन खड़े रहने के बाद भी एक भी परिवार बस्ती से शिफ्ट नहीं हुआ। लिहाजा नगर निगम ने बुधवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है।

प्रशासन ने रहवासियों को विस्थापन के लिए तीन विकल्प दिए थे। पहला एक-एक लाख रुपये मुआवजा। दूसरा 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता के साथ हाउसिंग फॉर ऑल के तहत मकानों का आवंटन। जबकि तीसरा विकल्प आचारपुरा के पास चांदपुर में जमीन और आर्थिक सहायता। हालांकि चांदपुर जाने को अधिकांश रहवासी तैयार नहीं हैं फिर भी कुछ लोगों ने चांदपुर जाने में दिलचस्पी दिखाई है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

   

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