आपदा प्रभावित कुलिंग गांव दिदिना तोक में विस्थापन तो हुआ, लेकिन सुविधाओं का अकाल

गोपेश्वर, 23 फरवरी (हि.स.)। चमोली जिले के देवाल विकासखंड का आपदा से प्रभावित कुलिग गांव का विस्थापन तो गांव की सरहद के दिदिना तोक में कर दिया है, लेकिन ग्रामीणों को सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य, आंगनबाड़ी सहित मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव तक पहुंचने के लिए मोटर मार्ग सबसे बड़ी समस्या बनी है।

कुलिग गांव में 14 अगस्त 2019 को दैविक आपदा का कहर बरपाया था। गांव के नीचे से बह रहे गधेरे के कटाव से पूरा गांव ही भूस्खलन की चपेट में आ गया था। उसके बाद प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में कुलिग के 65 परिवारों को गांव की सरहद पर दिदिना तोक में प्रत्येक परिवार को बसाया है जो मूल गांव कुलिंग से छह किलोमीटर की पैदल चढ़ाई पर है। ग्रामीण अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को पीठ पर ढोकर गांव तक ले जाते हैं। दिदिना तोक के 15 बच्चे आंगनवाड़ी, प्राथमिक विद्यालय, जूनियर हाईस्कूल पढ़ने कुलिग गांव जाते हैं। जंगली रास्तों से स्कूल आना-जाना प्रतिदिन हो जाता है। ग्रामीणों ने स्कूल भवन के लिए पांच नाली भूमि शिक्षा विभाग के नाम रजिस्ट्री कर दी है, लेकिन अभी भवन नहीं बना है। सड़क के अभाव में सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को झेलनी पड़ती है। गांव में इलाज की कोई सुविधा नहीं है। ग्रामीण लगातार गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए लगातार संघर्षरत हैं, लेकिन गांव की समस्याएं जस की तस बनी हैं।

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

कुलिग-दिदिना देवाल ग्राम प्रधान हुक्कम सिंह बिष्ट ने कहा कि कुलिग गांव का विस्थापन तो हुआ, लेकिन चार साल गुजरने के बाद भी कोई सुविधा नहीं मिल पाई है। कुलिग-दिदिना 10 किलोमीटर मोटर मार्ग और एक पुल के लिए 478.98 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण की फाइल वन विभाग के कार्यालय में घूम रही है।

क्या कहते हैं अधिकारी

लोनिवि थराली सहायक अभियंता विरेन्द्र सिंह बसेड़ा ने कहा कि दिदिना सड़क के लिए विभाग से सभी दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं, पिलर गाड़ दिए हैं और वन भूमि हस्तांतरण की फाइल वन विभाग को भेजी गई है। स्वीकृति के बाद सड़क निर्माण शुरू हो पाएगा।

गोपेश्वर चमोली के बदरीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ सर्वेश कुमार दुबे ने कहा कि गढ़वाल वन संरक्षक ने चार जनवरी को इस मोटर मार्ग का समरेखण और स्थलीय निरीक्षण किया गया है। उनके आदेशों के तहत वन भूमि हस्तांतरण की समस्त अभिलेखों की फाइल तैयार कर ली गई है। उच्चाधिकारी को प्रेषित की जा रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/वीरेन्द्र

   

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