जल परमात्मा का वरदान, हमें इस अमृत की संभाल करनी हैः माता सुदीक्षा

हरिद्वार, 25 फ़रवरी (हि.स.)। माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित के निर्देशन में आज अमृत प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत स्वच्छ जल, स्वच्छ मन परियोजना के दूसरे चरण का शुभारम्भ हरिद्वार हर की पौडी से किया गया। बाबा हरदेव सिंह महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित यह परियोजना समस्त भारतवर्ष के 27 राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के 1533 से अधिक स्थानों पर 11 लाख से भी अधिक स्वंयसेवकों के सहयोग से एक साथ विशाल रूप में आयोजित की गई।

हरिद्वार में हर की पौड़ी, घंटाघर, सुभाष घाट, रामघाट, सीसी टावर के आसपास, रोड़ी बेलवाला आदि क्षेत्रों की सफाई हरिद्वार, ज्वालापुर, मसाई कला, लाम मज़ाहिदपुर के स्वयं सेवको द्वारा की गई। लक्सर क्षेत्र में पश्चिम मुहानि बाण गंगा की सफाई लक्सर, शाहपुर, शेरपुर बेला, के निरंकारी स्वयं सेवको द्वारा की गई।

संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में बाबा हरदेव सिंह की प्रेरणा से प्रोजेक्ट अमृत का आयोजन किया गया। इस वर्ष ‘आओ संवारे, यमुना किनारे’ के मूल संदेश द्वारा इस परियोजना को एक जन जागृति का रूप दिया। इस अवसर पर संत निरंकारी मिशन के सभी अधिकारी, गणमान्य अतिथि तथा हजारों की संख्या में स्वयंसेवक और सेवादल के सदस्य सम्मिलित हुए।

संत निरंकारी मण्डल के मसूरी जोन के जोनल इंचार्ज हर भजन सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट अमृत के दौरान सुरक्षा के हर वैधानिक मापदण्ड का उचित रूप से पालन किया गया। इस कार्यक्रम में सभी सेवादारों एवं आंगतुको के बैठने, जलपान, पार्किंग, एम्बुलेंस एवं मेडिकल सुविधाओं इत्यादि का समुचित प्रबंध किया गया। इस परियोजना में अधिक से अधिक युवाओं का सक्रिय योगदान रहा। श्री सुखीजा ने सूचित किया कि यह मुहिम केवल एक दिन की न होकर हर महीने भिन्न भिन्न घाटों व जल स्त्रोतों की स्वच्छता के साथ निरंतर चलती रहेगी।

प्रोजेक्ट अमृत के दूसरे चरण का आरम्भ करते हुए निरंकारी राजपिता रमित ने सतगुरु माता जी से पूर्व अपने संबोधन में कहा कि बाबा हरदेव सिंह ने अपने जीवन से हमें यही प्रेरणा दी कि सेवा की भावना निष्काम रूप में होनी चाहिए न की किसी प्रशंसा की चाह में। हमें सेवा करते हुए उसके प्रदर्शन का शोर करने की बजाय उसकी मूल भावना पर केन्द्रित रहना चाहिए।

माता सुदीक्षा ने प्रोजेक्ट अमृत के अवसर पर कहा कि हमारे जीवन में जल का बहुत महत्व है और यह अमृत समान है। जल हमारे जीवन का मूल आधार है। परमात्मा ने हमें यह जो स्वच्छ एवं सुंदर सृष्टि दी है, इसकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। मानव रूप में हमने ही इस अमूल्य धरोहर का दुरुपयोग करते हुए इसे प्रदूषित किया है। हमें प्रकृति को उसके मूल स्वरूप में रखते हुए उसकी स्वच्छता करनी होगी। हमें अपने कर्मो से सभी को प्रेरित करना है न कि केवल शब्दों से। कण-कण में व्याप्त परमात्मा से जब हमारा नाता जुड़ता है और जब हम इसका आधार लेते है तब हम इसकी रचना के हर स्वरूप से प्रेम करने लगते है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जब हम इस संसार से जाये तो इस धरा को और अधिक सुंदर रूप में छोड़कर जाये।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

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