'जनपद का हो प्रत्याशी' मांग को लेकर जोर पकड़ रहा आन्दोलन

-ऐलान, अब नहीं बनने देंगे फतेहपुर जनपद को बाहरी सांसद का चारागाह

-जनता की आवाज को बुलंद कर रहे सामाजिक संगठन

-12 जीते हुए सांसदों में मात्र एक सांसद रहा स्थानीय

फतेहपुर, 13 मार्च (हि.स.)। लोकसभा के चुनाव के नजदीक आते ही बाहरी प्रत्याशी बनाम स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा परवान चढ़ाता जा रहा है और आन्दोलन का रूप ले रहा है। स्वतंत्रता के बाद जिले में पहली बार 1957 में हुए चुनाव हुए तब से आज तक ज्यादातर बाहरी प्रत्याशी ही जीत दर्ज करते आ रहे हैं। जिले के मतदाताओं का मानना है कि बाहरी प्रत्याशी का जनता से सीधे मेलमिलाप व संबंध नहीं हो पाता, जिससे आम जनता अपने सांसद से अपनी समस्या तक नहीं बता पाती है। पांच साल के कार्यकाल में बहुत लोग अपने सांसद से मिलना तो दूर दर्शन तक नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण जिले की जनता ने अब आगामी लोकसभा चुनाव में जनपद का प्रत्याशी की मांग के साथ उसे ही जिताने की घोषणा तक कर रहे हैं।

जनपद का प्रत्याशी बनता जा रहा आगामी लोकसभा का बड़ा मुद्दा

जनपद का प्रत्याशी के मुद्दे पर कई सामाजिक संगठन जिले के मतदाताओं की आवाज को बुलंद कर रहे है और सभी दलों के नेतृत्व तक जनता का मांग पहुँचाने का काम कर रहे है। साथ ही सभी दलों के नेतृत्व को चेतावनी देते हुए बाहरी प्रत्याशी को हराने की कसम खा रहे हैं। वहीं जनपद के प्रत्याशी को जिताने की घोषणा कर रहे हैं। संयुक्त सामाजिक एकता मंच, पटेल सेवा संस्थान, क्षत्रिय महासभा, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, बहुजन एकता मंच सहित अन्य कई सामाजिक व जातीय संगठनों ने जनपद का प्रत्याशी की मांग के लिए प्रदर्शन कर राजनैतिक दलों के शीर्ष नेतृत्व तक जनता की आवाज पहुंचाने का काम कर रहे हैं। बाहरी प्रत्याशी को जिता कर चारागाह न बनाने की मुहिम धीरे-धीरे जोर पकड़ती जा रही है।

इम मुहिम की शुरूआत कई महीने पहले ब्राह्मण समाज द्वारा मुखर रूप से की गई थी और ऐलान किया गया था। अब बाहरी प्रत्याशी नहीं चलेगा। वहीं संयुक्त सामाजिक एकता मंच के अध्यक्ष अमित पाल का कहना है कि इस जिले का दुर्भाग्य है कि एक बार को छोडकर हर बार बाहरी प्रत्याशी यहां से जीतता आ रहा है लेकिन जिले का विकास करने के बजाय सांसद इस जिले को अपना चारागाह मानते हुए काम करते रहे हैं। यही कारण है कि आगामी चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी को जिताने का आन्दोलन किया जा रहा है और जनता से अपील भी की जा रही है कि जनपद के प्रत्याशी को ही वोट देकर जिताएं। पटेल सेवा संस्थान के पूर्व अध्यक्ष लाल देवेन्द्र प्रताप सिंह पटेल ने बताया कि हमने पहले भी सर्वसम्मति निर्णय लेकर एक ज्ञापन सभी राजनीतिक दलों को भेजकर मांग की है कि इस दल का प्रत्याशी स्थानीय होगा उसे ही हमारा वोट होगा। अब बाहरी प्रत्याशियों का जनपद को चारागाह नहीं बनने देना है। दो दिन पूर्व क्षत्रिय समाज ने जोरदार प्रदर्शन कर स्थानीय प्रत्याशी की मांग का नारा बुलंद किया है।

फतेहपुर लोकसभा सीट से अब तक 12 सांसदों ने दर्ज की है जीत

सबसे पहले 1957 में अंसार हरवानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1962 में गौरी शंकर स्वतंत्र प्रत्याशी, 1967 में संत बक्स सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1971 में संत बक्स सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1977 में बशीर अहमद जनता पार्टी, 1978 में लियाकत हुसैन जनता पार्टी, 1980 में हरि कृष्ण शास्त्री भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1984 में हरिकृष्ण शास्त्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह जनता दल, 1991 में विश्वनाथ प्रताप सिंह जनता दल, 1996 में विशंभर प्रसाद निषाद बहुजन समाज पार्टी, 1998 में अशोक कुमार पटेल भारतीय जनता पार्टी, 1999 में अशोक कुमार पटेल भारतीय जनता पार्टी, 2004 में महेंद्र प्रसाद निषाद बहुजन समाज पार्टी, 2009 में राकेश सचान समाजवादी पार्टी, 2014 में निरंजन ज्योति भारतीय जनता पार्टी, 2019 में निरंजन ज्योति भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। सबसे अधिक बार बार कांग्रेस प्रत्याशी जीते, भाजपा ने चार बार जीत दर्ज की, दो-दो बार जनता पार्टी, जनता दल व बसपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। वही सपा व निर्दली प्रत्याशी ने एक-एक बार जीत दर्ज की। सांसद संत बक्श सिंह, हरिकृष्ण शास्त्री, वीपी सिंह, अशोक पटेल व साध्वी निरंजन ज्योति दो-दो बार जीत दर्ज कर चुके हैं।

कोई सांसद नहीं बना सका हैट्रिक, हैट्रिक बनाने के लिए तीसरी बार मैदान में साध्वी निरंजन ज्योति

फतेहपुर लोकसभा का इतिहास रहा कि अभी तक कोई भी सांसद तीसरी बार जीत दर्ज कर हैट्रिक नहीं बना सका। भाजपा की सांसद साध्वी निरंजन ज्योति लगातार दो बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद तीसरी बार प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। देखना दिलचस्प होगा कि जिले की जनता मेहरबान होती है या फिर तीसरी बार अपना मन बदल कर नये प्रत्याशी को अपना सांसद चुन कर दो बार से अधिक किसी को सुअवसर न देने पर कायम रहती है।

अब तक के जीते हुए 12 सांसदों में अशोक पटेल ही रहे स्थानीय

अब तक बारह सांसद जिले से सांसद बन चुके हैं। लेकिन उनमें से केवल डॉ.अशोक पटेल ही स्थानीय सांसद चुने गये है, जो भाजपा से दो बार जीत दर्ज की है। शेष 11 सांसद बाहरी रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/देवेन्द्र/मोहित

   

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