शहर के पशुओं की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है एचआईएस

जयपुर, 20 मार्च (हि.स.)। जयपुर का एक पशु कल्याण संगठन, हेल्प इन सफ़रिंग (एचआईएस) ने आज अपने 44 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया। एचआईएस शहर के पशुओं और पब्लिक हैल्थ के लिए निरंतर सेवा के लिए प्रतिबद्ध है।

एचआईएस का मिशन जरूरतमंद पशुओं को देखभाल, सुख साधन, आश्रय और गुणवत्तापूर्ण पशु चिकित्सा उपचार प्रदान करने के साथ-साथ समुदाय के साथ मिलकर त्यागे गए और खुले में घुमने वाले पशुओं को राहत पहुंचाना है। इस अवसर पर आईएएस, रवि जैन, सेबी के पूर्व अध्यक्ष और भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के संस्थापक और मुख्य संरक्षक, डीआर मेहता और एचआईएस की मैनेजिंग ट्रस्टी, टिम्मी कुमार उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के दौरान एचआईएस के वॉलंटियर्स और स्टाफ को सम्मानित किया गया।

आईएएस, रवि जैन ने कहा कि हेल्प इन सफरिंग शहर के बेजुबान पशुओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए जो इतने वर्षों से कार्य करता आ रहा है वह काफी सराहनीय है। पशु भी हमारे समाज का हिस्सा हैं। हमारे आस पास कई ऐसे पशु मिल जाते हैं, जिन्हें हमारी देखभाल, प्यार और सहारे की जरूरत होती हैं। मुझे प्रसन्नता है कि आज के समय में हमारा समाज जागरूक है और बेजुबानों की मदद करने के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने शहर के युवाओं को भी अधिक से अधिक बेजुबानों की मदद करने के लिए आगे आने के लिए प्रेरित किया।

वहीं डीआर मेहता ने कहा कि एचआईएस बहुत ही करुणाशील संस्था है। ऐसे बहुत कम संस्था हैं, जो इतने व्यापक तौर पर और शुद्ध भाव से बेजुबानों की मदद करें । एचआईएस की तत्काल, करूणाशील और प्रोफेशनल सेवा बहुत ही प्रशंसनीय है। उन्होंने आगे कहा कि युवा इस संस्था की बहुत बड़ी ताकत हैं। इस अवसर पर मैं एचआईएस की पूरी टीम, स्टॉफ और वॉलंटियर्स को उनके इस सराहनीय कार्य के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बचाव और पुनर्वास जैसी अपनी महत्वपूर्ण पहलों के साथ, एचआईएस सालाना 6,000 पशुओं (श्वान, बिल्ली, बंदर, पक्षी, ऊंट, घोड़े, गोवंश) को रेस्क्यू कर उनका इलाज और देखभाल करता है। इसके अतिरिक्त, एचआईएस के सेंटर में हर समय करीब 500 पशुओं की देखभाल होती है। पालतु पशुओं के लिए रिस्पॉन्सिबल ओनरशिप सुनिश्चित करने के लिए एचआईएस एडॉप्शन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। जिसके तहत परामर्श, प्रशिक्षण और निरंतर सहयोग प्रदान किया जाता है। वहीं एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) और वैक्सीनेशन की पहल के साथ, एचआईएस ने जयपुर में ह्यूमन-डॉग बाइट के मामलों को 1998 में 7.2 प्रति हजार से घटाकर आज 2.2 प्रति हजार कर दिया है। कार्यक्रम से 150,000 से अधिक श्वानों को लाभ हुआ है, जिसके तहत 3,500 श्वानों का सालाना इलाज किया जाता है। एक अन्य पहल, 'कैमल वेलफेयर', गरीब ग्रामीण समुदायों को उनके कामकाजी ऊंटों के लिए पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करती हैं। एचआईएस हर वर्ष 5,000 ऊंटों का इलाज करता है और साथ ही, जैसलमेर और पुष्कर में शिविर भी आयोजित करता है।

एचआईएस की मैनेजिंग ट्रस्टी, टिम्मी कुमार ने बताया कि एचआईएस एक अत्याधुनिक एनिमल केयर सेंटर बनाने की प्रक्रिया में भी है, जिसमें अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं और उपकरणों से सुसज्जित एक आधुनिक पशु अस्पताल शामिल होगा। यह पशु चिकित्सकों, वॉलंटियर्स और पशु कल्याण के प्रति पैशन रखने वाले व्यक्तियों के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण के केंद्र के रूप में भी काम करेगा।

एचआईएस पशुओं और मनुष्यों दोनों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। इसमें टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से रेबीज के जोखिम को कम करना, ह्यूमन-स्ट्रे डॉग मैनेजमेंट के माध्यम से सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ और सुरक्षित रखना, आवश्यक देखभाल और आश्रय प्रदान करके पशुओं की पीड़ा को कम करना, कैमल वेलफेयर प्रोग्राम के माध्यम से स्थानीय समुदायों को सपोर्ट करना और एडोप्शन प्रोग्राम के जरिए पालतु पशुओं की रिस्पॉन्सिबल ओनरशिप को सुनिश्चित करना शामिल है।

हिन्दुस्थान समाचार/ इंदु/ईश्वर

   

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