टीबी रोग के शुरूआत में शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते : प्रो. दीपक गौतम

वाराणसी, 23 मार्च (हि.स.)। विश्व क्षयरोग दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को बीएचयू के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलसेंट हेल्थ एंड डेवलपमेंट कमरा न. 104 सर सुंदरलाल अस्पताल में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। नेशनल हेल्थ मिशन तथा ममता हेल्थ इंस्टीटयूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के संयुक्त पहल पर कार्यक्रम में टीबी बीमारी के बारे में जागरूक किया गया।

जनरल मेडिसिन विभाग के प्रो.दीपक गौतम ने बताया कि इस वर्ष विश्व क्षयरोग दिवस का थीम 'यस! वी कैन एंड टी.बी.' है। उन्होंने बताया कि शरीर में टीबी बीमारी की शुरुआत माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है। शुरुआत में तो शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह संक्रमण बढ़ता जाता है, मरीज की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं। जिन लोगों के शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें टीबी का खतरा ज्यादा रहता है। टी.बी.एक गंभीर संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है।

केंद्र की नोडल अधिकारी प्रो.संगीता राय ने बताया कि में यह संक्रमण महिला के प्रजनन तंत्र एवं अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब्स, अण्डाशय एवं गर्भाशय को प्रभावित कर गंभीर क्षति पहुंचा सकती है। जो आगे चलकर गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं। महिलाओं में टी.बी.के कारण गर्भाशय की परत (एण्डोमेट्रियम) में खराबी व ट्यूब बंद अथवा खराब होने की समस्या हो सकती है। स्त्री प्रसूति तंत्र विभाग की डॉ साक्षी अग्रवाल ने टी. बी. से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताया। कार्यक्रम में केन्द्र के काउंसलर नवीन पाण्डेय, प्रोग्राम असिस्टेंट मज़ाहिर अब्बास हैदरी, देवेन्द्र यादव तथा प्रशिक्षु रोहित,विपुल,शिवांगी,रक्ष्मी,युगल,नंदिनी,रवि आदि ने भी सहभाग किया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश

   

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