अनूपपुर: सड़कों से लेकर गलियों तक रंग और गुलाल की शाम तक होती रही बौछार

बच्चों की होली

बुधवार को भाईदूज में दूज

अनूपपुर, 26 मार्च (हि.स.)। जिले में दो दिवसीय होली की फाग एवं डफली की थाप पर छिड़ी जोगीरा व स्थानीय लोक सुरों की साज में दूसरे दिन 26 मार्च को जिलेभर में रंगों का पावन पावन होली हर्षोउल्लास एवं भाईचारे के साथ मनाया गया। अनूपपुर मुख्यालय सहित कोतमा, भालूमाड़ा, बदरा, राजनगर, बिजुरी, रामनगर, जैतहरी सहित पुष्पराजगढ़ के ग्रामीण अंचलों में रंगों का बौछार और फाग के साथ पर्व मनाया जा रहा हैं। सड़कों से लेकर गलियों तक रंग और गुलाल की बौछार होती रही। इन रंगों में युवाओं, बच्चों और बुजुर्गो ने होली खेला। खासकर छोटे बच्चों ने गुब्बारों में रंगीन पानी भरकर दूसरे पर उछालकर होली का भरपूर आनंद लिया। जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में युवाओं ने कपड़ा फाड़ होली खेली। इस मौके पर डफली की थाप पर दिनभर शहर और गांवों में फाग मंडली के लोग थिरकते नजर आए। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुरूपिया रूपों में लोगों ने नृत्य व गायन कर फाग का आनंद उठाया। पहले दिन लोगों ने शांति और भाईचारे के साथ जमकर होली खेली।

एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा दी बधाई

जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में युवाओं ने कपड़ा फाड़ होली खेली जिसमें एक-दूसरे के कपड़े फाड़ कर रंगो से सराबोर किया। लोग सुबह के समय रंग लेकर अपने घरों से निकले और एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाया। रंग और गुलाल से ओत-प्रोत युवकों की टोली नगर भ्रमण करते हुए लोगो को जमकर रंगा। सड़क किनारे छोटे-छोटे बच्चे पिचकारी में रंग भरकर आने जाने वाले लोगों पर रंग डालते रहे। इसके बाद लोगों ने डफली और टिमकी की थाप पर जमकर डांस किया। लोग रंग लगाकर होली की गीत पर थिरकते रहे। होली को लेकर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों में उत्साह नजर आया। वहीं हुड़दंगियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस का पुख्ता इंतजाम रहा। पुलिस अधिकारी नगर के गलियों में घूम घूमकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे। दो दिवसीय होली के कारण व्यवसायिक प्रतिष्ठानें बंद रहे।

बुधवार को भाईदूज

भाई-बहन के स्नेह का त्योहार भाई दूज होली के बाद पड़ने वाली दूज तिथि को मनाया जाता हैं। जिसे भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। बता दें कि साल में दो बार भाई दूज मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहनें भाईयों को तिलक लगाने के साथ अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष में दो बार भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। एक दिवाली के बाद और दूसरा चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस खास अवसर पर बहनें अपने भाई की दीर्घ आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधती हैं। इस पर्व को भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

   

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