मेरठ से प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी शंखनाद की गूंज देशभर में सुनाई देगी
- Admin Admin
- Mar 27, 2024
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लखनऊ, 27 मार्च (हि.स.)। देश में 18वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा अबकी बार, चार सौ पार के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी है। देश की संसद को सर्वाधिक 80 सांसद देने वाले उत्तर प्रदेश में उसने सभी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक अहमियत को देखते हुए प्रधानमंत्री आगामी 31 मार्च को अपने चुनावी कैंपेन की शुरुआत पिछले दो लोकसभा चुनाव की तरह क्रांतिवीरों की धरती मेरठ से ही करने जा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये पहली रैली होगी। पीएम मोदी की ये रैली मोदीपुरम में केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र के पास ग्राउंड में होगी। जिसमें मेरठ सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अरुण गोविल और राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी भी उनके साथ मंच पर दिखाई देंगे।
2014 और 2019 में भी मेरठ से शुरू किया था चुनाव कैंपेन
2014 और 2019 के चुनाव में पीएम मोदी ने चुनावी कैंपेन की शुरूआत क्रांतिधरा मेरठ से की थी। इन चुनावों में भाजपा को भारी समर्थन हुआ और केंद्र में उसने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। मेरठ पीएम मोदी और भाजपा के लिए भाग्यशाली साबित हुआ। इसलिए 2024 में पीएम मोदी मेरठ की भूमि से ही अपने चुनाव कैंपेन का श्रीगणेश करने जा रहे हैं। 2019 में 28 मार्च को पीएम मोदी की रैली रुड़की रोड पर शिवाय टोल प्लाजा के नजदीक हुई थी। 2014 में 2 फरवरी के दिन भाजपा के पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने शताब्दी नगर में शंखनाद रैली को संबोधित किया था। मेरठ-हापुड़ सीट पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को मतदान होना है, लेकिन नरेन्द्र मोदी मेरठ से चुनावी अनुष्ठान आरंभ करना शुभ मानते हैं।
पश्चिम उत्तर प्रदेश की सीटों पर भाजपा की नजर
इस रैली के जरिए प्रधानमंत्री प्रदेश में पहले और दूसरे चरण के कुल 16 सीटों को साधने की कोशिश करेंगे। भाजपा ने उप्र की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में पार्टी जीत में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती। दरअसल, 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने उप्र में 71 सीट जीती थी। लेकिन, 2019 में ये घटकर 62 रह गई। भाजपा को ये नुकसान पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुआ। 2014 में पश्चिमी उप्र में भाजपा को 27 में से 24 सीट मिली थी जो 2019 में 5 सीटों के नुकसान के साथ 19 रह गईं। 2019 में भाजपा को हुए नुकसान की वजह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच का गठबंधन था।
मेरठ में भाजपा ने उतारा नया चेहरा
भाजपा ने मेरठ सीट से प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को उतारा है। 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा का चेहरा राजेंद्र अग्रवाल थे। भाजपा तीन बार से लगातार इस सीट का जीत रही है। इससे पहले 1994 के उपचुनाव, 1999 और 2004 में भाजपा ने इस सीट पर लगातार कमल खिला चुकी है।
अरुण गोविल को मेरठ से उतारने के पीछे खास रणनीति
2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को काफी कम अंतर जीत हासिल हुई थी। ऐसे में भाजपा इस सीट पर तीन बार जीतने के बाद भी कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है।भाजपा के रणनीतिकारों को उम्मीद है अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद राममय माहौल में अरुण गोविल को मैदान में उतारने से पार्टी को फायदा मिलेगा। आज भी बड़ी संख्या में लोग अरुण गोविल को भगवान राम के तौर पर पूजते हैं। उनके मन में उनके लिए काफी आस्था है। जब प्रधानमंत्री अरुण गोविल के साथ मंच साझा करेंगे तो पश्चिम उत्तर प्रदेश ही नहीं देशभर के करोड़ों रामभक्तों पर इसका सीधा असर होगा।
स्पष्ट है कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव में देशभर में रामनवमी कवच लेकर घूमेंगे। तो उसका असर चुनाव नतीजों पर भी दिखना लाजिमी है। पार्टी राम लहर पर सवार होकर ही 2024 लोकसभा चुनाव में उतरेगी। पश्चिम उत्तर प्रदेश रामलहर की पहली प्रयोगशाला बनेगा। अरुण गोविल की छवि पर्दे के राम से ज्यादा प्रभु राम के मानस चरित्र के रूप में देखी जाती है। 19 और 26 अप्रैल को पश्चिम उप्र में चुनाव के बाद पार्टी उन्हें देशभर में ले जाएगी। अरुण गोविल को मेरठ सीट से उतारने के पीछे भी यही वजह है।
राम नाम की नैया में सवार भाजपा
अयोध्या में बीती 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पहली जनसभा 25 जनवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मानस की चौपाइयों से सजे और जय श्रीराम के नारों से गुंजायमान विशाल पंडाल में की थी। दरअसल, भाजपा राम लहर और मोदी लहर दोनों को एक साथ साधकर चुनावी वैतरणी पर करना चाहती है।
भाजपा रालोद गठबंधन से पश्चिमी किला मजबूत हुआ
इस बार सपा-बसपा-रालोद में गठबंधन नहीं है। कांग्रेस-सपा में गठबंधन है। भाजपा और रालोद एक साथ हैं। बसपा अकेले मैदान में है। इस बार बसपा जिन प्रत्याशियों को उतार रही है उससे भाजपा का समीकरण बिगड़ने का अंदेशा है। इसलिए भाजपा प्रत्याशियों के चयन में बड़ी सावधानी बरत रही है। भाजपा इस बार न सिर्फ पहले हारी हुई सीटों को जीतना चाहती है बल्कि अपने स्ट्राइक रेट को भी और बढ़ाना चाहती है। जानकारों के मुताबिक, भाजपा और रालोद की जोड़ी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विपक्ष के समीकरणों पर हर लिहाज से भारी पड़ेगी।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/मोहित