भक्त सुदर्शन की भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुई थी दुर्गाकुंड में देवी कुष्मांडा

—देवी भागवत कथा में साध्वी गीतांबा तीर्थ बोली,देवी भागवत कथा सुनने से सभी दुख दूर होता है

वाराणसी,31 मार्च (हि.स.)। देवी उपासिका, दुर्गा मातृ छाया शक्तिपीठ की संस्थापिका साध्वी गीतांबा तीर्थ ने रविवार को कहा कि मां कुष्मांडा भक्त राजकुमार सुदर्शन के भक्ति से खुश होकर काशी के दुर्गाकुण्ड क्षेत्र में प्रकट हुई थी। साध्वी गीतांबा तीर्थ डाफी स्थित एक वाटिका में आयोजित देवी भागवत कथा में ज्ञान गंगा बहा रही थी। साध्वी ने कथा प्रसंग में बताया कि अयोध्या के राजा पुष्य हुए, उनके पुत्र ध्रुवसंधि थे। ध्रुव संधि की दो पत्नियों थी मनोरमा और लीलावती। मनोरमा के लड़के राजकुमार सुदर्शन थे और लीलावती के पुत्र राजकुमार शत्रुजीत थे। उन्होंने बताया कि मनोरमा के पिता वीरसेन जब युद्ध में मारे गए । तब लीलावती के पिता युधाजीत ने अपने नाती शत्रुजीत को वहां का राजा बना दिया। राजा बनने के बाद शत्रुजीत अपने सौतेले भाई सुदर्शन को मारने के लिए सेना लेकर पहुंच गया। जिस पर राज्य के मंत्री विट्ठल मनोरमा और सुदर्शन को लेकर भारद्वाज मुनि के आश्रम में शरण लिए। आश्रम में गुरु पुत्र सुदर्शन के साथ खेल रहा था। और खेल-खेल में सुदर्शन के कान में क्लीव -क्लीव बोल रहा था। क्लीव का मतलब होता है नपुंसक। लेकिन सुदर्शन क्लीव शब्द को क्लीं शब्द समझकर उसी का जाप करने लगे। इससे मां दुर्गा प्रसन्न हुई और काशी के राजा सुबाहू की बेटी शशिकला को स्वप्न दिया कि वह सुदर्शन का वरण करें। राजा सुबाहू ने बेटी के विवाह के लिए स्वयंवर रचाया, लेकिन सुदर्शन को इसलिए आमंत्रित नही किया गया कि वह किसी देश का राजा नहीं था। फिर शशिकला ने राजकुमार सुदर्शन को पत्र लिखकर आमंत्रित किया और सुदर्शन का वरण कर लिया। इसकी जानकारी होने पर शत्रुजीत ने सेना लेकर काशीराज को घेर लिया और भयंकरहुआ। अपनी हार देखकर सुदर्शन मां भगवती का स्मरण करने लगते हैं और आदिशक्ति से रक्षा की प्रार्थना की। सुदर्शन के भक्ति से मां आदिशक्ति प्रकट हुईं और विपक्ष की पूरी सेना को तहस-नहस करके सुदर्शन को जीत दिलाया। जब माँ जाने लगीं तो राजा सुदर्शन ने प्रार्थना की कि मां आप काशी में ही विराजमान हों और तभी से मां दुर्गाकुंड में कुष्मांडा देवी के रूप में विराजमान हैं। साध्वी ने कहा कि देवी भागवत कथा सुनने से सभी दुख दूर होता है और सभी फलों की प्राप्ति होती है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम

   

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