श्री मद भागवत कथा के तीसरे दिन भगवान व्यास व शुकदेव महाराज की कथा आयोजित

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सहरसा,04 अप्रैल (हि.स.)। श्री नारायण सेवा संस्थान द्वारा पूरब बाजार नलकूप के प्रांगण में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ चल रहा है।

तीसरे दिन गुरुवार को पूज्य श्री दिलीप कृष्ण भारद्वाज जी महाराज कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा सुखदेव जी के पीछे-पीछे व्यास जी जा रहे हैं। महाराज अपने मंगलाचरण में कह रहे हैं कि जन्म लेते जो सन्यास ले लिए चार अंगुल की कौपीन भी जिसके शरीर पर नहीं पुत्र पुत्र पुत्र कह कर व्यास सुकदेव के पीछे चल रहे हैं। ऐसे परम वंदनीय पूज्य श्री देव जी के चरणों में हम प्रणाम करते हैं।

व्यास जी कहते हैं।जवाब मिलता है वृक्षों से वृक्ष शायद यह बताना चाहते हैं कि इस बार जिनके आप पिता बन चुके हो पहले यह आपके पिता रहे होंगे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है व्यास जी लौट कर चले आए। ऐसे परम आदरणीय वंदनीय सुखदेव जी को परम संत हैं और संतों के सानिध्य जीवन को संवार देती है। संतों का चरित्र जीवन को परिवर्तन कर देता है।

आदरणीय सूत जी और शौनकादिक ऋषियो के प्रश्नों का जवाब देते। जिस के रक्षक भगवान हैं उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।जाको राखे साइयां मार सके ना कोय।बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय ।जिनका रक्षक गोविंद है।पांचो पांडव तान दुपट्टा सो रहे हैं लेकिन गोविंद छड़ी लेकर के उन की रखवाली में खड़े हैं। पांचों पांडवों को भगवान कृष्ण ने दूसरे स्थान पर ले गए लेकिन सोए हुए द्रोपदी के पांचों पुत्रों को अश्वत्थामा ने पांचों पांडव समझकर मार दिया। दुर्योधन ने कहा क्या प्रमाण है तुमने पांचों पांडवों को मार दिया। अश्वत्थामा बोले मैं तो पांचों के सिर ले आया हूं काटकर। द्रोपदी बार-बार विलाप करती है।मेरे पुत्रों को मार दिया। अर्जुन ने भी प्रतिज्ञा किया जो अश्वत्थामा को द्रोपदी के सामने लाकर के मारूंगा। आचार्य डॉक्टर नवनीत ने पूजन एवं मंच का संचालन किया।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/गोविन्द

   

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