चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अपने घर में ब्रह्मध्वज की स्थापना कर नववर्ष मनाएं : प्राची जुवेकर

-मंगलवार 09 अप्रैल से सनातनी नववर्ष की शुरूआत, नवसंवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनि

वाराणसी, 05 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार से सनातनी नववर्ष की शुरूआत हो रही है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा आठ अप्रैल सोमवार की रात 11.55 बजे से शुरू हो रहा है। लेकिन उदयातिथि में प्रतिपदा मंगलवार को मनाया जाएगा।

भारतीय पिंगल नवसंवत्सर के राजा इस बार मंगल और मंत्री शनि है। जिनका प्रभाव देश दुनिया पर भी दिखेगा। सनातन संस्था की प्राची जुवेकर के अनुसार परमपिता ब्रह्मा ने चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिप्रदा पर ब्रह्मांड को निर्मित किया। सृष्टि आरंभ के ब्रह्माजी ने समय, वर्ष,मास,ऋतु,दिन-रात,घंटा-मिनट,कला-बिकला आदि का निर्धारण किया। ब्रह्माजी के नाम से ही 'ब्रह्मांड' नाम प्रचलित हुआ। हिन्दू धर्म में साढ़े तीन मुहूर्त बताए गए हैं, वे हैं-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा,अक्षय तृतीया एवं दशहरा, प्रत्येक का एक एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का आधा। इन साढ़े तीन मुहूर्तों की विशेषता यह है कि अन्य दिन शुभकार्य करने के लिए मुहूर्त देखना पड़ता है। परंतु इन चार दिनों का प्रत्येक क्षण शुभ मुहूर्त ही होता है। इस दिन को संवत्सरारंभ,गुड़ी पड़वा,विक्रम संवत् वर्षारंभ,युगादि,वर्ष प्रतिपदा, वसंत ऋतु प्रारंभ दिन आदि नामों से भी जाना जाता है।

उन्होंने बताया कि सनातनी नववर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व ही ब्रह्मध्वज अपने घर में खड़ी करना चाहिए, उसके माध्यम से उस दिन ब्रह्मतत्व तथा प्रजापति तरंगों का लाभ पूजक को अधिक मात्रा में होता है।

कैसे बनाए ब्रह्मध्वज

प्राची जुवेकर बताती है कि पहले बांस को पानी से धोकर सूखे वस्त्र से पोंछ लें,फिर पीले वस्त्र की चुन्नट बनाकर उसे बांस के ऊपरी भाग में बांधें, उस पर नीम की टहनी, बताशे की माला, फूलों का हार बांधें, कलश पर कुमकुम की पांच रेखाएं बनाकर उसे बांस की चोटी पर उलटा रखें, इस कलश सजी हुई ध्वज को पीढ़े पर खड़ा करें एवं आधार के लिए डोरी से बांधें,ब्रह्मध्वज की पूजा कर,भावपूर्ण प्रार्थना करने के उपरांत नीम का प्रसाद सभी में बांटें।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश

   

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