गोविन्द गिरि देव महाराज के श्रीमुख से आरम्भ हुई छत्रपति शिवाजी महाराज कथा

हरिद्वार, 09 अप्रैल (हि.स.)। शक्ति व मर्यादा साधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि व रामनवमी के उपलक्ष्य में स्वामी रामदेव के 30वें संन्यास दिवस के पर स्वामी गोविन्ददेव गिरि महाराज के श्रीमुख से छत्रपति शिवाजी महाराज की यशोगाथा छत्रपति शिवाजी महाराज कथा का शुभारम्भ आज योगभवन, पतंजलि योगपीठ-2 के सभागार में हुआ। कथा के प्रथम दिन स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण महाराज ने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए गोविन्ददेव गिरि महाराज से कथा प्रारंभ करने का अनुरोध किया।

कथा में स्वामी गोविन्द देव गिरि महाराज ने कहा कि शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किसी राजा का राज्याभिषेक नहीं था तथापि वह भारतीय इतिहास का सर्वोत्तम स्वर्ण क्षण था। इसके उपरान्त भारतीय इतिहास का दूसरा स्वर्ण क्षण 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का क्षण था। उन्होंने कहा कि आयु के 15वें वर्ष में छत्रपति शिवाजी ने हिन्दू साम्राज्य की स्थापना हेतु प्रतिज्ञा ली। उसके बाद अनेक प्रकार की आपदाओं को झेलते हुए, संघर्ष करते हुए, शत्रुओं से घिरे रहने पर भी युद्ध नीति का आश्रय लेते हुए उन्हें परास्त करके लगभग 350 किलों का आधिपत्य निर्माण किया।

महाराज ने कहा कि अंग्रेजों से पहले हमारे देश में कोई भी जिला ऐसा नहीं था जिसमें गुरुकुल संचालित नहीं थे। 1818 से पहले भारत में 70 प्रतिशत लोग अत्यंत शिक्षित थे। अंग्रेजों ने अपनी शिक्षा नीति हम पर थोपकर भारत की शिक्षा को बर्बाद कर दिया। षड्यंत्रपूर्वक हमारे भारत के गौरवशाली इतिहास व भारतीय शासकों की पराक्रम गाथा को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया। गांधी जी ने भी लंदन में भाषण देते हुए कहा था कि ‘आप लोगों ने मेरे देश की शिक्षा पद्धति को नष्ट किया है।’

इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि सनातन धर्म को किसी सहारे की आवश्यकता नहीं है, किसी राजाश्रय, कॉर्पोरेट हाउस या राजनैतिक पार्टी की आवश्यकता नहीं है। ये सनातन के रक्षक नहीं है। सनातन धर्म तो शाश्वत है, लेकिन सनातन धर्म विरोधी, राष्ट्र विरोधी जो असुर व राक्षस प्रवृत्ति के लोग जब सनातन के मूल्यों व आदर्शों पर प्रहार करते हैं, उस समय जिस जुझारूपन की जरूरत होती है वह हिन्दुत्व है। उस हिन्दुत्व के, हिन्दवी साम्राज्य के कोई संस्थापक, प्रतिष्ठापक, उद्घोषक या प्रणेता हैं तो वह नवजागरण के पुरोधा, राष्ट्रधर्म के योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज हैं।

इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध समस्त इकाइयों के इकाई प्रमुख, अधिकारी, विभागाध्यक्ष, पतंजलि विश्वविद्यालय, आचार्यकुलम, पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय, पतंजलि गुरुकुलम, पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन, पतंजलि कन्या गुरुकुलम, वैदिक गुरुकुलम् इत्यादि सभी शिक्षण संस्थान के शिक्षक, विद्यार्थी, पतंजलि संन्यासाश्रम के समस्त संन्यासी, साध्वीं, पतंजलि योगपीठ के थैरेपिस्ट चिकित्सक सभी कर्मयोगी आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

सम्बंधित खबर