संग्रहालय हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करेगी : नेगी

संग्रहालय हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करेगी : नेगी।।संग्रहालय हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करेगी : नेगी।।संग्रहालय हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करेगी : नेगी।।

-उत्तरकाशी में प्रताप संग्रहालय तिवारी का गढ़ गौरव नरेन्द्र सिंह नेगी ने किया लोकार्पण

उत्तरकाशी, 13 अप्रैल (हि.स.)। जिला मुख्यालय में बैसाखी के पर्व पर गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने ' प्रताप संग्रहालय तिवारी' का एक सादे समारोह में लोकार्पण किया।

इस दौरान उत्तराखंड के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने संग्रहालय के लिए सेवा निवृत्त शिक्षक प्रताप सिंह बिष्ट 'संघर्ष' की सराहना करते हुए बधाई दी। उन्होंने कहा कि संग्रहालय से हमारे आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति से रू-ब-रू हो सकेंगी। नेगी दा ने कहा कि आज हम अपनी पुरखों की संस्कृति को आधुनिकता की दौड़ में खोते जा रहे हैं। अब जरूरत है कि हम इसकी प्रकार से अपनी प्राचीन संस्कृति और धरोहर को विलुप्त होने से बचाना है।

नेगी ने बताया कि यहां संग्रहालय निश्चित तौर पर आने वाले समय में देश- विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षित का केंद्र बनेगा वहीं हमारी संस्कृति से भी रूबरू करायेगा। प्रताप सिंह बिष्ट संघर्ष सेवा निवृत्त शिक्षक है उन्हें शिक्षा क्षेत्र के क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।

उन्होंने उत्तरकाशी स्थित पोस्ट आफिस मार्ग पर अपने निवास स्थान पर स्वयं के प्रयास एवं संसाधनों से यहां की गौरव शाली सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए उत्कृष्ट काष्ठ कला से निर्मित तिवारी में संग्रहालय स्थापित कर उत्तरकाशी में एक नया आयाम स्थापित किया है।

बिष्ट कहना है कि हमें अपनी पारंपरिक संस्कृतियों के विरासत का ज्ञान होगा तभी हम अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे। संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के साथ-साथ देश की आने वाली पर्यटकों को उत्तराखंड की संस्कृति, विरासत से पारंपरिक वस्तु उपकरणों के मध्य से परिचित करवाना है।

उनका मानना है कि संग्रहालय तिवारी उत्तरकाशी में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा तो यहां सैलानियों की तादाद बढ़ेगी।

क्या है संग्रहालय में आकर्षण केंद्र

संग्रहालय में 10 में 11वीं सदी के सिक्के से लेकर तमाम रोजमर्रा के उपकार शामिल हैं जो वर्तमान में विलुप्त के कगार पर। संग्रहालय वे चाहिए। कास्तकारों के उपयोग के सैकड़ों साल पुराने बहुत से उपकरण हैं, जिसके बारे में आज की पीढ़ी को मालूम नहीं है कि इसका उपयोग क्या है? संग्रहालय में अधिकांश यंत्र ऐसे हैं जो मुग़ल शासन के दौरान के हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/चिरंजीव सेमवाल /रामानुज

   

सम्बंधित खबर